वाराणसी। काशी की अड़भंगी जीवनशैली सनातनी धार्मिक मान्यताएं गंगा की लहरों के साथ अलसुबह मंदिरों की घंटियों की आवाज सात समन्दर पार के नागरिकों के लिए चिरकाल से आकर्षण की केन्द्र रही है।
यूरोप की भागमभाग पूर्ण जीवन शैली से आजिज आकर यहां गंगा तट पर सुकुन पाने के लिए आए पर्यटक बनारसी मस्ती और जीवन दर्शन के कशिश में बंध जाते हैं।
गुरुवार को अस्सी घाट के निकट स्थित शिव मंदिर में यह मंजर देखने को मिला। जब दो विदेशी प्रेमी युगल घाट घुमने के दौरान एक दम्पती को छठ के लिए वेदी बनाते देख तुरन्त निर्णय लिया कि सनातनी परम्परा के अनुसार अग्नि को साक्षी मान सात फेरा लेंगे।
उनके निर्णय को जान क्षेत्रीय लोगों ने भी उनके विवाह में बढ़चढ़कर भागीदारी की। उनकी शादी अस्सी निवासी अजय मिश्रा ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कराई। इस शादी के गवाह अन्य विदेशी पर्यटक बनें।
इसके पूर्व स्वीडन के रहने वाले निकोलस और टिल्डा का बारात अस्सी स्थित एक रेस्तरां से बैंड बाजे के साथ मंदिर तक निकली। बारात में शामिल क्षेत्रीय युवाओ ने जमकर नृत्य किया।
शादी के बाद नवविवाहिता टिल्डा ने बताया कि निकोलस एक अच्छे इंसान हैं और हमारी मुलाकात काशी में ही दो साल पहले हुई थी।
तब यहां घाटों पर भारतीय महिलाओं को छठ पूजा करते देखा तो तभी निर्णय कर लिया कि हम भारतीय रीति रिवाज से गंगा के तट पर शादी करेंगे और आज हमें इसकी बहुत ख़ुशी है, क्योंकि हमारा सपना पूरा हो गया।