चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को सतलुज-यमुना संपर्क नहर (एसवाईएल) के मुद्दे के निपटारे के लिए दो महीने का समय देने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने केंद्र सरकार से इस मुद्दे के शुरुआती प्रस्ताव के लिए हरियाणा के साथ वार्ता की सुविधा देने का आग्रह किया।
वार्ता के जरिए समस्या के हल होने की बात को दोहराते हुए अमरिंदर ने कहा कि पंजाब इससे किसी को वंचित नहीं करना चाहता है। राज्य में पानी की गंभीर कमी ने हमें इस महत्वपूर्ण संसाधन को बांटने से रोकने पर मजबूर किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य भूजल के गिरते स्तर को बचाने के लिए सभी संभव कदम उठा रहा है और जल संरक्षण के लिए जल और पर्याप्त कदमों का मूल्यांकन करने के लिए भूजल प्रबंधन के लिए एक अलग विभाग भी स्थापित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च इलाकों में ग्लेशियरों के पिघलने के कारण पंजाब की नदियों में पानी के स्तर में गिरावट आई है।
अमरिंदर ने एसवाईएल के लिए सभी आंदोलनों को रोकने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का स्वागत करते हुए कहा कि पंजाब और हरियाणा दोनों ही इस मुद्दे पर हिंसा बढ़ने की अनुमति नहीं दे सकते हैं।
हरियाणा की मुख्य विपक्षी दल, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) पंजाब में सतलुज-यमुना संपर्क नहर (एसआईएल) के तुरंत निर्माण की मांग कर रही है, जिससे हरियाणा को ज्यादा पानी मिल सके।
सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही हरियाणा के पक्ष में एसआईएल मामले का फैसला दिया है, लेकिन इनेलो नहर के निर्माण के जरिए आदेश को तत्काल अमल में लाने की मांग कर रहा है।