Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
मांगी जांच, दे दी अनापत्ति! - Sabguru News
Home India City News मांगी जांच, दे दी अनापत्ति!

मांगी जांच, दे दी अनापत्ति!

0
मांगी जांच, दे दी अनापत्ति!

1-2 copy3-4
सिरोही। सरूप क्लब के सामने स्थित शराब की दुकान का विवाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की भूमिका को संदेह के दायरे में डाल रहा है। इस मामले में 21 मई को राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने जिला कलक्टर को जांच के आदेश दिये, इस पर जिला कलक्टर वी.सरवन कुमार ने 22 मई को इसकी जांच उपखण्ड अधिकारी सिरोही को सौंप दी।

उपखण्ड अधिकारी को शिकायत के अनुसार यह जांच करनी थी कि यह दुकान आबकारी नियमों के तहत है या नहीं है, लेकिन उपखण्ड अधिकारी सिरोही ने 26 मई को सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट में दुकान को अनापत्ति दे दी। इस रिपोर्ट में उपखण्ड अधिकारी ने लिखा कि  ‘प्रस्तावित भानिविम बीयर दुकान लोकेशन वर्ष 2015-16 के लिए स्वीकृति दी जाती है तो इस कार्यालय को कोई आपत्ति नहीं है।Ó 16 अप्रेल को क्षेत्रीय पार्षद पुष्पा कंवर के इस दुकान के रिहायशी इलाके, समाज कल्याण विभाग के छात्रावास के पास तथा हाइवे से सौ मीटर की दूरी पर होने की आपत्ति की  जिला कलक्टर को दी थी।

इस शिकायत पर तहसीलदार सिरोही की ओर से 19 अप्रेल को जिला कलक्टर के मौखिक आदेश के अनुसार सौंपी गई रिपोर्ट में जिस स्थान पर दुकान बनाई गई है, उस स्थान को खसरा संख्या 1360 रकबा .7400 हैक्टेयर की बारानी किस्म की राजकीय बिलानाम भूमि बताया है। यदि ऐसे में उपखण्ड अधिकारी की ओर से सरकारी जमीन पर ही दुकान को अनापत्ति देने से निर्माता को राजस्व भूमि पर कब्जा करने का एक प्रमाण पत्र मिल गया है, जबकि तहसीलदार की रिपोर्ट के अनुसार इसे अतिक्रमण मानते हुए तोड़ा जाना चाहिए था। जांच रिपोर्ट को इस तरह से अस्पष्ट बनाया गया है कि पार्षद की ओर से जताई गई आपत्तियों को किसी भी तरह से स्पष्ट नहीं किया गया है और इसी आधार पर शराब की दुकान खोल दी गई।
शिकायतकर्ता ही गैर मौजूद
उपखण्ड अधिकारी ने जिला कलक्टर के आदेश पर जिला आबकारी निरीक्षक, जिला आबकारी अधिकारी के साथ इस विवादित दुकान की मौका फर्द रिपोर्ट तैयार की। इस मौका फर्द में दुकान निर्माता के तो हस्ताक्षर हैं, लेकिन इस दुकान के रिहायशी इलाके के पास होने की शिकायत करके आपत्ति जताने वाले पक्ष के किसी भी व्यक्ति के हस्ताक्षर नहीं हैं, ऐसे में इस रिपोर्ट की पारदर्शिता भी संदेह के दायरे में हैं।
भाषा भी गोलमोल
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने जिस पत्र पर जिला कलक्टर सिरोही को  जांच करने के आदेश दिए हैं, उसमें इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि आखिर किस बात की जांच करवानी है। इस पत्र में जो ताबीर है उसके अनुसार दुकान के अनुज्ञाधारी महेन्द्रकुमार ने उक्त आबकारी दुकान के नियमों के अनुकूल होने और उसका मौका मुआयना करके लोकेशन स्वीकृत करने का अनुरोध किया। यह काम आबकारी निरीक्षक का था, आखिर इस तरह के ड्राफ्ट पर राज्यमंत्री ने क्यों हस्ताक्षर किए। यदि अनुज्ञाधारी को कोई समस्या थी तो राज्यमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखते कि लोगों की आपत्ति के कारण उनकी दुकान को आबकारी नियमों के विपरीत बताया जा रहा है और इसकी जांच करवाकर अनुमति प्रदान करावें। जिस पत्र पर राज्यमंत्री ने जांच के लिखित आदेश कलक्टर को दिए हैं, उसमें कही भी यह नहीं लिखा है कि दुकान को लेकर अड़ोस-पड़ोस के लोगों को आपत्ति है। इतना ही नहीं जो जांच रिपोर्ट उपखण्ड अधिकारी ने जिला कलक्टर को सौंपी है उसमें भी इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि वह जांच किस चीज की कर रहे हैं। स्थानीय लोगों ने जो इस दुकान के रिहायशी कॉलोनी व हाइवे के सौ मीटर के दायरे में होने और हाइकोर्ट की ओर से निर्धारितमापदण्डों की अवहेलना की शिकायत की थी, इसका जिक्र न तो जांच रिपोर्ट में है और न ही राज्यमंत्री ओटाराम देवासी की ओर से हस्ताक्षरित किए गए पत्र में।
यहां जल्दबाजी, वहां देरी क्यों?
1. नगर परिषद चुनाव से पहले 27 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक होटल में राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने जिला कलक्टर को सीसीटीवी कैमरे के कथित घोटाले की जांच करने के दूरभाष पर निर्देश दिए थे। इस मामले में तीन महीने से ज्यादा समय बीतने पर भी जांच शुरू नहीं की गई। वहीं शराब की दुकान के इस प्रकरण में 21 मई को ओटाराम देवासी के निर्देश पर जिला कलक्टर ने 22 मई को जांच करने के लिए उपखण्ड अधिकारी को आदेश दे दिए और 26 मई को जांच रिपोर्ट मिल भी गई।
2. जो काम आबकारी निरीक्षक का था उसके लिए ओटाराम देवासी को जिला कलक्टर को लिखित निर्देश देने की जरूरत कहां थी। जबकि जिस पत्र पर देवासी ने कलक्टर के नाम पर नोट लिखा है वह मूल पत्र ही आबकारी निरीक्षक को लोकेशन वेरीफिकेशन के लिए लिखा गया था, यदि आबकारी निरीक्षक यह काम नहीं करता तब उनका दखल बनता था। यदि आबकारी निरीक्षक के यह काम नहीं करने पर उन्होंने यह लिखित आदेश कलक्टर को दिए हैं तो उन्होंने नियमसंगत काम नहीं करने वाले आबकारी निरीक्षक को जिले से हटवाया क्यों नहीं?
3. सीसीटीवी कैमरे के मामले में जांच को सीधे डीएलबी को भेज दी, डीएलबी ने भी कोई स्थानीय लोगों के दबाव के बाद आयुक्त लालसिंह राणावत को सस्पेंड किया और आयुक्त राणावत हाइकोर्ट से स्टे लेकर आकर यहां नौकरी करने लगे। आखिर ऐसा क्या था कि स्थानीय विधायक ने जयपुर स्तर पर कार्रवाई करके स्टे को वेकेट करवाने के लिए कोई प्रयास नहीं कर सके ऐसा क्या था कि शराब की दुकान के मामले में छह दिन में जांच के बाद इसे स्थापित भी करवा दिया गया।
4. मामले में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पक्ष यह भी है। शराब की दुकान के रिहायशी कॉलोनी के पास होने की शिकायत करने वालों में खुद भाजपा के पूर्व महामंत्री विरेन्द्रसिंह चौहान और सरकारी विभाग के अधिकारी शामिल हैं, जबकि शराब की दुकान का मालिक कांग्रेस का पार्षद है। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि आखिर ऐसा क्या हित था कि जनप्रतिनिधि और जिले के आला अधिकारियों ने भाजपा पदाधिकारी और सरकार के नुमाइंदों की कथित जायज शिकायत को नजरअंदाज करके कांग्रेस के प्रति प्रेम दिखाया। भाजपाइयों का कहना है कि जायज शिकायतों के प्रति पार्टी पदाधिकारियों व सरकारी नुमाइंदों की इस तरह की अनदेखी हतोत्साहित करने वाली है।

इनका कहना है…
इस मामले में मै तहसीलदार जी से मिला था। यह राजस्व भूमि है, जिसे नगर परिषद को हस्तांतरित नहीं किया गया है। यदि हस्तांतरित कर देते तो हम इस दुकान को हटा देते।
लालसिंह राणावत
आयुक्त, नगर परिषद, सिरोही।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here