-वेरापुरा आग का मामला
सिरोही। आगजनी के दौरान प्रशासन की ओर से तैयार की जाने वाली फर्द रिपोर्टें संदेह के घेरे में आ रही है। सिरोही तहसील के वेरापुरा में 29 अप्रेल को लगी आग में जिस तरह से दो विभागों की रिपोर्टों में अंतर मिला है उससे यही प्रतीत हो रहा है कि सिरोही में नेताजी को खुश करने के लिए लोगों की जुबान से निकली बात ही ब्रह्मवाक्य हो रही है।
इसके लिए वह राजकोष से पैसा निकालने के लिए निर्धारित नियमों को भी ध्यान में रखने को तैयार नहीं है। यहां पर प्रशासन की रिपोर्ट में 31 मेमने और एक आठ महीने की पाडी जलने की फर्द तैयार की गई, लेकिन तुरंत ही मौके पर पहुंची पशुपालन विभाग की मोबाइल टीम को एक मेमने के अवशेष को छोड़कर कुछ भी नहीं मिला।
मरे हुए जानवरों की यह जानकारी थी
तहसीलदार की ओर से आपदा विभाग को भेजी रिपोर्ट के अनुसार हमीराराम रेबारी के आठ मेमने, धनाराम रेबारी के आठ मेमने, तोलाराम रेबारी के दस मेमने तथा चेलाराम रेबारी के पांच मेमने और एक आठ माह की पाड़ी के मरी थी। यह संभावित है कि सभी भेड़ें एक साथ रही होंगी। ऐसे में जिस मेमने के ढांचे के राख के अवशेष मिले उसी के आसपास कम से कम तीन चार मेमनों के ऐसे ही अवशेष और मिलने चाहिए थे।
पहले वेराविलपुर गए, फिर वेरापुरा
आगजनी के मामले में पशुपालन विभाग के साथ सामन्जस्य का अभाव आमतौर पर देखने को मिलता है। उन्हें किसी सूत्र यदि सूचना मिल जाए तो वह लोग पहुंच जाते है, लेकिन मौके पर पहुंचने वाले प्रशासनिक अधिकारी उन्हें आगे होकर इसकी सूचना नहीं देते। इसी का परिणाम यह रहा कि 29 अप्रेल को पशुपालन विभाग के मोबाइल दल को उनके सूत्र से सही सूचना नहीं मिली तो पहले वह दल वेराविलपुर पहुंचा। फिर बाद में वेरापुरा की जानकारी मिली तो वहां पहुंचा। यदि तहसीलदार, नायब तहसीलदार या पटवारी इसकी सूचना देते तो यह दल भटकने की बजाय सीधे घटनास्थल ही पहुंचता।
मोक ड्रिल समझ चिकित्सक भी छोड़ा
पशुपालन विभाग को उसके सूत्रों से वेराविलपुर में आग में जानवरों के जलने की सूचना मिली। जब मोबाइल दल वहां पहुंचा तो ऐसी कोई घटना वहां नहीं होने की जानकारी मिली। इस पर पशुपालन विभाग के उप निदेशक ने मोक ड्रिल की संभावना के चलते एक चिकित्सक को वहीं पर रहने और शेष टीम को वापस लौटने के निर्देश दिये। इसी बीच उन्हें यह सूचना मिल गई कि यह आग की घटना वेरापुरा में हुई है तो मोबाइल टीम को वहां रवाना कर दिया गया। वहां पहुंचने पर चिकित्सक दल ने पशुपालकों से पूछा कि किन किन स्थानों पर पशु बंधे हुए थे तो वह स्थान बताने की बजाय उन्हें यह कहते हुए टालते रहे कि सभी जलकर राख हो गए हैं। पशुपालन विभाग के चिकित्सकों को एक मेमने के ढांचे के राख के अवशेष मिल गए, शेष 30 मेमने और एक आठ माह की पाडी के अवशेष का ठिकाना नहीं था। जबकि एक मेमने की तरह ही शेष मेमनों और पाडी का अवशेष भी दिखना चाहिए।
ऐसा कैसा वेरिफिकेशन
आगजनी में हुए नुकसान के मुआवजे के लिए प्रशासनिक अधिकारी की मौका फर्द रिपोर्ट मान्य होती है। वह मौके पर जाकर इसकी तस्दीक और फिजिकल वेरिफिकेशन करता है। इस मामले में मात्र एक ही मेमने का अवशेष मिलने पर भी 31 मेमने और एक पाडी के जलने की रिपोर्ट बनाकर दे रहे हैं। ऐसे में इस रिपोर्ट पर भी संदेह है।
इनका कहना है…
वैसे मुआवजा नियमानुसार ही दिया जाता है। वेरापुरा की रिपोर्ट नायब तहसीलदार ने मौके पर जाकर बनाई थी। मै बाहर था। इसका क्या आधार था उनसे जानकारी लेकर बताता हूं।
विरेन्द्रसिंह भाटी
तहसीलदार, सिरोही।
वेरापुरा में हम एक भी जानवर नहीं मिला, इसलिए कोई पोस्टमार्टम करेंगे। हमें वेराविलपुर की सूचना मिली थी। इसलिये मोबाइल टीम को वहां भेजा। वहां कुछ नहीं था तो मोक ड्रिल समझकर एक चिकित्सक को वहीं छोड़ा। इस बीच यह घटना वेरापुरा में होने की जानकारी मिली। वहां 32 पशुओं के अवशेष नहीं दिखाए।
गणपतसिंह
उपनिदेशक, पशुपालन विभाग, सिरोही।
एक मेमने के राख का ढेर हमें जरूर दिखा। कोई पशु दिखा नहीं पाए इसलिए पोस्टमार्टम भी नहीं किया। वहां पहुंचते ही हमने अवशेष दिखाने को कहा तो पशुपालकों ने कहा कि सभी जलकर राख हो गए हैं।
डॉ अजयकुमार
पशुपालन विभाग, सिरोही।