खंडवा। प्रतिभा गॉड गिफ्ट होती है। कहते हैं न, बरगद का बीज पत्थर पर भी अंकुरित होकर विशाल पेड़ की शक्ल ले लेता है। ठीक ऐसा ही खंडवा में एक प्रतिभाशाली कलाकार दीपकराव टीकेकर ने साबित कर दिखाया है।
दीपक फल और सब्जियों का फुटकर धंधा करता है। कलाकार दिमाग उस पर इतना हावी है कि फल सब्जियों में भी उसे चेहरे दिखते हैं। बारीक नोंकदार चाकू से उन्हीं पर कलाकृति उकेरना शुरू कर देता है। रंगोली तो वह ऐसे बनाता है जैसे ब्रश से कोई पेंटिंग कर रहा हो।
केनवास पर रंगों का समन्वय कुछ इस तरह करता है, जैसे उसके हाथ अपने आप बहुत कुछ कर गुजरने को उत्सुक हो रहे हों। आर्थिक अभाव के चलते वह केवल आठवीं ही पढ़ पाया।
दीपक रंगोली से हर समय सार्वजनिक स्थलों पर ज्वलंत समस्याओं पर राह चलते लोगों का ध्यान आकर्षित कराता रहता है। सराफा के सब्जी बाजार में फुटपाथ पर उसकी दुकान है। ग्राहकी के बाद मौका मिलते ही फल व सब्जियों पर कलाकृति उकेरने लगता है।
सब्जियों का धंधा मंदा था। किसी और आर्थिक समस्या आने पर वह ड्राइवरी भी करता है। सिंगाजी थर्मल पावर में चीफ इंजीनियर की तीन साल गाड़ी भी चलाई।
दीपक बताता है कि साहब के विजीट पर जाते ही एक कापी में चित्रकारी करने लगता था। रंगोली भी खुद के पैसौं की लेकर सार्वजनिक स्थलों पर पहुंच जाता है। दादाजी मंदिर में गुरूवार को मुख्य गेट पर बड़ी बड़ी रंगोली बनाता है। इसमें फूल व सामान्य चित्रकारी नहीं होती।
फिलहाल वह ज्वलंत समस्याओं की ओर रंगोली से लोगों का ध्यान खींचना चाहता है। इस गुरूवार दादाजी धाम गेट के सामने उसने राजस्थान में भीषण जल संकट पर खंडवा के लोगों का ध्यान खींचा और जीवंत चित्र रंगोली से उकेर दिए।
खंडवा के लोगों को संदेश दिया कि हमारे हालात ऐसे न हो जाएं, इसलिए पानी का अपव्यय रोकें। पानी को व्यर्थ न बहाएं, इसकी कीमत को समझे। ऐसे ही कई कार्य वह मौका देखकर आयोजनस्थलों पर करता रहता है।
दीपक की मां भी सब्जी व फल बेचने का काम करती हैं। उन्होंने कहा कि पढ़ने में रुचि थी, लेकिन आर्थिक अभाव के चलते ज्यादा न पढ़ा सके। सराफा व्यवसायी मुन्ना वर्मा के यहां छोटे मोटे काम भी करता था। उन्होंने ही पढ़ने में मदद की।
बाद में वह सब्जी बेचने व ड्राइवरी के काम में लग गया। उसकी कला में इतना दम है कि वह फलों में भी भगवान की आकृति उकेरकर उसे पूजनीय बना देता है। यह काम पर मिनटों में कर गुजरता है।
दीपक की कलाकारी को ऊंचा उठाने के लिए समाजसेवियों ने उसका सम्मान शाल, श्रीफल व माला से किया। सुनील जैन, मुन्नालाल वर्मा समेत कई लोगों ने कहा कि इस प्रतिभा को उभारने की जरूरत है। खंडवा के लोग भी सहयोग करें। दीपक खंडवा का नाम रौशन कर सकने का माद्दा रखता है।