वाशिंगटन। तालिबान के प्रमुख नेता मुल्ला मंसूर को अमरीका ने अफगानिस्तान की सीमा से लगते पश्चिमी पाकिस्तान इलाके के सुदूर क्षेत्र में किए गए एक ड्रोन हमले में मार गिराया है।
अमरीका के एक अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि मंसूर को निशाना बनाकर शनिवार को अफगानिस्तान-पाक सीमा क्षेत्र के एक सुदूरवर्ती इलाके में हवाई हमला किया गया था। अभियान की मंजूरी अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दी थी। उसने बताया कि हमले में मंसूर के साथ मौजूद एक अन्य व्यक्ति के भी मारे जाने की संभावना है।
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी पाकिस्तान स्थित अहमद वाल शहर के पास दूर दराज के इलाके में मौजूद एक वाहन पर कई ड्रोन विमानों ने निशाना बनाकर हमला किया। हमला स्थानीय समयानुसार सुबह करीब 6 बजे किया गया।
पेंटागन के प्रेस सचिव पीटर कुक ने कहा कि मंसूर तालिबान का नेता और काबुल एवं समूचे अफगानिस्तान स्थित संस्थाओं के खिलाफ हमलों की साजिश रचने में सक्रिय रूप से शामिल रहा था जो अफगान नागरिकों एवं सुरक्षा बलों, हमारे कर्मियों तथा गठबंधन सहयोगियों के लिए खतरा पैदा कर रहा था।
मंसूर अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच शांति एवं सुलह कायम करने में बाधा रहा। वह तालिबान नेताओं को अफगानिस्तान सरकार के साथ उन शांति वार्ताओं में हिस्सा लेने से रोकता था जिन वार्ताओं से संघर्ष खत्म हो सकता था।
उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय अब भी पाकिस्तान के अंदर अपने हमले के नतीजों का आकलन कर रहा है। मुल्ला उमर की मौत और मंसूर के कमान संभालने के बाद तालिबान ने कई हमले किए जो हजारों अफगान नागरिकों एवं अफगान सुरक्षाकर्मियों के साथ अमरीकी एवं गठबंधन के कई कर्मियों की मौत का कारण बने।
अमरीका के कई शीर्ष सांसदों ने मंसूर को मार गिराए जाने के अभियान की प्रशंसा की। सीनेटर एवं शक्तिशाली सीनेट आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के अध्यक्ष जॉन मैक्केन ने कहा, मैं इस खबर का स्वागत करता हूं कि मुल्ला मंसूर को मार गिराया गया।
इस अभियान को अंजाम देने वाले अमरीकी सैन्य बलों की क्षमता एवं उनके पेशेवर अंदाज को मैं सलाम करता हूं। इस कार्रवाई ने अमरीका एवं अफगानिस्तान को सुरक्षित बनाया है।
सीनेटर एवं सीनेट फॉरेन रिलेशंस कमेटी के अध्यक्ष बॉब कॉर्कर ने कहा कि अगर तालिबान नेता मुल्ला अख्तर मंसूर की मौत की खबर में सच्चाई है तो यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक अहम जीत और अफगानिस्तान में हमारे सैन्यकर्मियों के लिए एक स्वागत योग्य खबर होगी।
अफगानिस्तान में जन्मा मंसूर 1990 में समूह के शुरू होने के समय से ही तालिबान का सदस्य था और वह 2013 से प्रभावी रूप से इसकी कमान संभाल रहा था।