नई दिल्ली/मास्को। तालिबान आतंकियों ने मंगलवार को अमरीका और अफगान सुरक्षा बलों के खिलाफ अफगानिस्तान में हमले तेज करने की धमकी दी है। इन हमलों को उग्रवादी संगठन ने अपनी वार्षिक नीति का हिस्सा बताया है जिसे ‘स्प्रिंग ओफेन्सिव’ के नाम से जाना जाता है।
एक बयान जारी कर तालिबान का कहना है कि वसंत का आगमन जेहादी संकल्प और संचालन को नये रुप में मज़बूत करने का समय है। ऐसे में इस्लामी अमीरात नेतृत्व इस साल के जिहादी ऑपरेशन की घोषणा करता है।
तालिबान इस साल के हमलों को ‘ऑपरेशन ओमारी” के तहत अंजाम देगा। ऐसा आतंकी समूह के नेता मुल्ला उमर की 2013 में हुई मौत की याद में किया जा रहा है जिसके मरने की पुष्टी पिछले साल गर्मियों में की गई थी। अभियान आधिकारिक तौर पर स्थानीय समय के अनुसार सुबह 5 बचे शुरु हुआ ।
तालिबान का कहना है कि इस अभियान के जरीये वह अफगानिस्तान में अफगान और अमेरिकी फौजों के ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हमले करेगा। समारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ठिकानों पर हमले किये जायेंगे और शहरी सैन्य ठिकानों पर कमांडरों की हत्या की जाएगी।
तालिबान हमलों के लिए सभी प्रकार के हथकंडे अपनाएगा। जिससे विदेशी फौजों और उनके आंतरिक सहयोगियों (अफगान फौजों) का मनोबल कम हो।
अफगानिस्तान में अमेरिकी नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय सैन्य गठबंधन नाटो का आधिकारिक तौर पर मिशन 2015 की शुरूआत में समाप्त हो गया है। मौजूदा योजना के तहत दिसंबर 2016 तक अमेरिका अफगानिस्तान में अपनी सैन्य गतिविधियां जारी रखेगा।
तालिबान 1990 के दशक से अफगानिस्तान और पड़ोसी देश पाकिस्तान में शरीयत कानून लागू कराना चाहता है। इसके लिए वह दोनों देशों में नागरिकों और प्रशासनिक व्यवस्था के खिलाफ कई आतंकवादी हमलों को अंजाम दे चुका है।