मुंबई। फिल्म ‘करीब करीब सिंगल’ की निर्देशक तनुजा चंद्रा ने कहा कि वह दो नई कहानियों पर काम करना शुरू करेंगी। तनुजा ने नौ साल बाद फिल्म का निर्देशन किया है, लेकिन वह खाली नही बैठेंगी।
उन्होंने कहा कि 2008 में फिल्म ‘होप एंड ए लिटिल शुगर’ के बाद मैंने दो कहानियों को पूरा किया। अब ‘करीब करीब सिंगल’ के पूरी होने के बाद मैं उन फिल्मों पर काम करना शुरू करूंगी।
उनकी मां कामना चंद्रा भी एक लेखिका थीं और उन्होंने ‘प्रेम रोग’ औरी ‘चांदनी’ जैसी फिल्में लिखी थीं। ‘करीब करीब सिंगल’ भी उन्हीं के काम पर आधारित है।
तनुजा ने कहा कि ‘करीब करीब सिंगल’ असल में 20 साल पहले मेरी मां द्वारा लिखे गए एक रेडियो नाटक पर आधारित है। जब मैंने इसे देखा था, तब मुझे अहसास हुआ कि यह आज भी प्रासंगिक है।
निर्देशक तनुजा ने फिल्म में मलयालम अभिनेत्री पार्वती के किरदार के बारे में कहा कि बहुत सारी महिलाएं एक निश्चित उम्र में वैसा महसूस करती हैं, जैसा कि पार्वती के किरदार ने किया। हालांकि, इरफान का किरदार आपत्तिजनक है। कुछ महिलाएं देखभाल करने वाले पुरुषों पर ध्यान देती हैं, भले ही वह प्रदर्शनकारी ही क्यों न हो, जैसा कि इरफान की फिल्म में है।”
तनुजा मानती हैं कि फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें अपने देश की भौगोलिक स्थिति से प्रेम हो गया।
तनुजा ने कहा कि हम भारत के सबसे सुंदर स्थानों पर गए जैसे कि ऋषिकेश और गंगटोक। हमने देखा कि भारत कितना सुंदर है। अगर कुछ और नहीं, तो मुझे उम्मीद है कि मेरी फिल्म दर्शकों को भारत की सुंदर भौगोलिक स्थिति के दर्शन कराएगी।