नई दिल्ली। अगर आपकी सालाना इनकम दस लाख रुपए से अधिक और आप करदाता हैं तो अगले माह से आपकों सब्ििसडी वाला रसोई गैस सिलेंडर नहीं मिलेगा।
फिलहाल सभी परिवारों को एक साल में 14.2 किलोग्राम के 12 रसोई गैस सिलेंडर 419.26 रुपए प्रति के मूल्य पर मिलते हैं। इसका बाजार मूल्य 608 रुपए है।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने बयान में कहा है कि सरकार ने संपन्न लोगों से स्वैच्छिक रूप से सब्सिडी वाली एलपीजी छोडऩे तथा बाजार मूल्य पर सिलेंडर खरीदने को कहा गया था। अभी तक 15 करोड़ एलपीजी उपभोक्ताओं में से 57.5 लाख ने सब्सिडी वाला सिलेंडर छोड़ा है।
कई उपभोक्ताओं ने स्वैच्छिक रूप से सब्सिडी छोड़ी है, वहीं यह जरूरत महसूस की जा रही है कि उच्च आय वर्ग के लोगों को एलपीजी सिलेंडर बाजार कीमत पर मिलना चाहिए।
सरकार ने कहा है कि यदि उपभोक्ता या उसके पति या पत्नी की सालाना कर योग्य आय पिछले वित्त वर्ष में 10 लाख रुपए से अधिक रही है तो उनको एलपीजी सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा। इस आय की गणना आयकर कानून, 1961 के तहत की जाएगी।
हालांकि, शुरुआत में इस योजना को जनवरी में सिलेंडर की बुकिंग कराते समय स्वघोषणा के आधार पर लागू किया जाएगा। सब्सिडी बिल में कटौती तथा राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने सितंबर, 2012 में प्रत्येक परिवार के लिए सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या सालाना 4 कर दी थी. बाद में जनवरी में इसे संशोधित कर नौ किया गया। जनवरी, 2014 में इसे एक अप्रेल से सालाना 12 सिलेंडर किया गया।
सालाना 12 सिलेंडरों की सब्सिडी सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में डाली जाती है, जिसके जरिए वे बाजार मूल्य पर सिलेंडर खरीदते हैं। वित्त वर्ष 2014-15 में एलपीजी के लिए 40,551 करोड़ रुपए की सब्सिडी का भुगतान किया गया। इस वित्त वर्ष में यह आधी से भी कम रहेगी क्योंकि तेल कीमतें छह साल के निचले स्तर पर आ गई हैं।
अप्रेल-सितंबर के दौरान सब्सिडी खर्च 8,814 करोड़ रहा। इस बारे में कोई अनुमान नहीं है कि कितने एलपीजी उपभोक्ताओं की सालाना कर योग्य आय 10 लाख रुपए या अधिक है।
वर्तमान में देश में 16.35 करोड़ एलपीजी उपभोक्ता हैं। एलपीजी के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटीएल) योजना शुरू होने के बाद यह आंकड़ा घटकर 14.78 करोड़ रह गया क्योंकि इससे डुप्लिकेट और निष्क्रिय उपभोक्ता बाहर हो गए। बयान में कहा गया है कि इस योजना का मकसद यह है कि सब्सिडी लाभ लक्षित समूह तक पहुंचे।
सरकार ने संपन्न लोगों से स्वैच्छिक रूप से सब्सिडी छोडऩे का आह्वान किया था। प्रधानमंत्री के इस आह्वान के बाद 57.50 लाख लोगों ने एलपीजी सब्सिडी छोड़ी है।
सरकार के ‘गिव इट अपÓ अभियान से बचने वाली सब्सिडी का इस्तेमाल ‘गिव बैकÓ अभियान के जरिये गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों को नए कनेक्शन देने के लिए किया जा रहा है। इससे गरीब परिवारों को परंपरागत ईंधन मसलन मिट्टी का तेल, कोयला, ईंधन लकड़ी या गोबर आदि के बजाय एक साफ ईंधन एलपीजी के रूप में उपलब्ध कराया जा रहा है।