अकेली लकड़ी असानी से तोड़ी या काटी जा सकती है, लेकिन वहीं जब यह लकड़ियां एक साथ हो तो इन्हें काटना बहुत मुश्किल होता है। यही कहावत हमारी वर्कप्लेस पर भी लागू होती है। क्योंकि कभी भी अकेले आगे नहीं बढ़ा जा सकता, सब साथ में ही बढ़ते है।
फिर चाहे देश हो, या फिर समाज से लेकर संस्थान तक में टीम भावना से ही आगे बढ़ा जा सकता है। करइसलिए टीम का हिस्सा बन कर ही काम करें। किसी संस्था या कंपनी में अलग-अलग परिवेश से आए लोगों के साथ काम करते है। ऐसी में मनमुटाव के बजाएं एक दूसरे से सीखने कि कोशिश करनी चाहिए। ऐसे नहीं होने पर न तो पूरी क्षमता से कंपनी विकास कर पाती है और न व्यक्ति विशेष को ही कोई लाभ मिल पाता है।
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सीखें नेतृत्व में काम करना
कंपनियों में हमेशा किसी न किसी नए प्रोजेक्ट की शुरुआत होती है। इनमें काम करने के लिए कुछ कर्मचारियों की टीम बनाई जाती है। टीम में शामिल किए गए सदस्य कंपनी के अन्य विभागों से भी हो सकते हैं और नई नियुक्तियों के जरिए लाए गए भी। इनमें से किसी एक को टीम के नेतृत्व का जिम्मा दिया जाता है। कंपनी के इस फैसले को स्वीकारते हुए टीम के सभी सदस्यों को उसके निर्देशों का पालन करना चाहिए। टीम का नेतृत्वकर्ता ही प्रोजेक्ट के अपेक्षित परिणाम के लिए जिम्मेदार होता है।
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संवाद है जरुरी
लक्ष्य प्राप्ति के लिए रखे गए समय को देखते हुए टीम के सदस्यों को बैठक करनी चाहिए। इससे सभी सदस्य आपस में काम के दौरान आ रही मुश्किलों और संभावित उपायों पर विचार कर सकेंगे। संवाद की यह प्रक्रिया टीम को नई ऊर्जा के साथ काम करने की प्रेरणा देगी।
मिलकर करें काम
अपनी भूमिका के मुताबिक काम करते हुए टीम के सभी सदस्य व्यक्तिगत रूप से कुछ संसाधन जुटा लेते हैं। ये संसाधन डेटा, आइडिया, सुझाव और तकनीक आदि के रूप में हो सकते हैं। इन्हें टीम के अन्य सदस्यों के साथ साझा करें। ऐसा करने से टीम का कीमती समय बचेगा और लक्ष्य पाने के काम में तेजी आएगी।
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लक्ष्य तय होन जरुरी
टीम के सभी सदस्यों को अपनी व्यक्तिगत भूमिका की जानकारी हो। उन्हें यह पता हो कि बतौर टीम वह क्या हासिल करना चाहते हैं। ऐसा होने पर टीम आसानी से अपेक्षित परिणाम हासिल कर पाएगी।
दूर रखें अहम
टीम के रूप में काम करते हुए व्यक्तिगत अहं का होना अच्छा नहीं है। यह भावना सदस्यों के बीच मनमुटाव पैदा करती है और दूरियां बढ़ाती है। इससे टीम के लक्ष्य पर नकारात्मक असर पड़ता है, इसलिए टीम के लक्ष्य को प्राथमिकता देते हुए अपने अहं को काम पर हावी नहीं होने देना चाहिए।
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