हैदराबाद। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने गुरुवार को कहा कि अगर केंद्र समाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े मुस्लिमों और अनुसूचित जनजाति के बढ़े हुए आरक्षण सीमा को सुनिश्चित नहीं करती है, तो तेलंगाना इसके विरोध में कानूनी लड़ाई लड़ेगी।
उन्होंने सदन को बताया कि उन्हें विश्वास है कि केंद्र इस संबंध में भारतीय संविधान की नौंवी अनुसूची में राज्य के कानून को शामिल करेगी, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो राज्य सर्वोच्च न्यायालय का भी रुख करेगी।
राव ने कहा कि तेलंगाना राष्ट्र समिति संसद के शीत सत्र में भी इस मुद्दे को उठाएगी। सदन ने अप्रैल में दो श्रेणियों में क्रमश: 12 और 10 प्रतिशत आरक्षण का कोटा बढ़ाने के संबंध में कानून पास किया था।
पिछड़ा वर्ग (ई) श्रेणी में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े मुस्लिमों को शैक्षणिक संस्थानों में 4 प्रतिशत कोटा और अनुसूचित जनजाति को 6 प्रतिशत का कोटा दिया गया है। नौवीं अनुसूची में इसे शामिल करने से न्यायिक समीक्षा के लिए कानूनी अधिकार मिल जाएगा।
तेलंगाना में मुस्लिमों और एसटी वर्गो के लिए आरक्षण में कोटा बढ़ाने से राज्य में कुल आरक्षण 62 प्रतिशत हो जाएगा। राज्य तमिलनाडु की तर्ज पर सरकार से इसे नौंवी सूची में शामिल करने की मांग कर रहा है। तमिलनाडु में कुल मिलाकर सभी वर्गो को 69 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि यह मुद्दा सरकार के पास विचाराधीन है और दावा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी और सही समय पर इसे मुद्दे के हल का वादा भी किया था।
उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह सर्वदलीय प्रतिनिधियों के साथ मोदी से मिलेंगे और नौवीं अनुसूची में इसे शामिल करने के लिए उनसे आश्वासन लेंगे। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि किसी को भी मुस्लिमों का कोटा बढ़ाने को लेकर उनकी सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल नहीं उठाने चाहिए।