नई दिल्ली। केंद्रीय संचार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को पोस्टकार्ड और भारतीय पोस्टल ऑर्डर की कीमत बढ़ाने के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया।
डाक सेवाओं की दरों में संशोधन के लिए हुई बैठक में उन्होंने साफ कहा कि भारतीय डाक को गरीब और निम्न श्रेणी को ध्यान में रखते हुए इन सेवाओं की मौजूदा दर को बनाए रखना होगा। अगर घाटा है तो इसका बोझ आम आदमी पर डालना उचित नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक बैठक में सामान्य पोस्टकार्ड की कीमत 50 पैसे से बढ़ाकर दो रुपए, मेघदूत पोस्टकार्ड की कीमत 25 पैसे से बढ़ाकर दो रुपए और प्रिंटेड पोस्टकार्ड की कीमत छह रुपए से बढ़ाकर नौ रुपए करने का प्रस्ताव रखा गया था।
तब सिन्हा ने पूछा कि भारतीय डाक कितना पोस्टकार्ड छापता है और इसपर कितान खर्च होता है। जानकारी मिलने पर देरी से नाराज सिन्हा ने कहा कि वे भी चुनाव लड़ते हैं और पंपलेट छपवाते हैं। उन्हें पता है कि छपाई की दर आजकल क्या है।
सिन्हा ने कहा कि ट्विटर पर काफी लोगों ने उनसे पोस्टकार्ड की कीमत नहीं बढ़ाने का आग्रह किया है। यहां तक कि उन्होंने प्रिंटेड पोस्टकार्ड की कीमत भी छह रुपए से घटाकर तीन-चार रुपए करने का निर्देश दिया।
इसके साथ ही उन्होंने दस और बीस रुपए के भारतीय पोस्टल ऑर्डर की कीमत बढ़ाने के प्रस्ताव को भी यह कहकर ठुकरा दिया कि इसका इस्तेमाल गरीब छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं का फार्म भरने में करते हैं।
भारतीय डाक की अखबारों के वितरण के मामले में मोनोपोली है। रोजाना करीब 6.12 करोड़ छोटे-बड़े अखबारों और पत्रिकाओं का वितरण डाक विभाग करता है। यह सेवा वह खासतौर से सस्ती दरों पर उपलब्ध कराती है।
लेकिन छह हजार करोड़ रुपए के घाटे में डूबी भारतीय डाक ने एक हजार करोड़ रुपए का राजस्व हासिल करने के लिए इस सेवा में भी बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा था। सिन्हा ने पूछा कि इससे कितना राजस्व मिलेगा।
जवाब में पांच करोड़ सुनने पर उन्होंने कहा कि एक हजार करोड़ के मुकाबले तो पांच करोड़ रुपए ऊंट के मुंह में जीरा समान है, इसलिए इसे भी छोड़ दिया जाए।
भारतीय डाक 500 ग्राम का सामान्य पार्सल 19 रुपए में पहुंचाता है जिसे बढ़ाकर 30 रुपए करने के प्रस्ताव पर सिन्हा ने सहमति जताई, लेकिन ताकीद कि फिर आपको समयबद्ध डिलीवरी करनी होगी।
सिन्हा ने साफ कहा कि कूरियर और पार्सल का कारोबार देश में करीब दो लाख करोड़ रुपए का है जिसमें भारतीय डाक की हिस्सेदारी महज 129 करोड़ रुपए की है। यह शर्म की बात है।
डाक सेवाओं की दरें कौन तय करता है, इस सवाल के जवाब में उन्हें बताया गया कि यह वित्त मंत्रालय करता है। इस पर भी सिन्हा ने नाराजगी जताई कि वित्त मंत्रालय का बाबू यह तय नहीं करेगा।
भारतीय डाक में विशेषज्ञों की कमेटी बनाई जाए और बाजार का अध्ययन किया जाए। उन्होंने कहा कि भारतीय डाक को कूरियर और पार्सल के कारोबार में अपनी हिस्सेदारी एक हजार करोड़ रुपए तक बढ़ानी होगी।