Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
temporary Ceasefire in Samajwadi Party
Home Breaking सपा में युद्ध-विराम, अखिलेश का भविष्य बचाने की कवायद

सपा में युद्ध-विराम, अखिलेश का भविष्य बचाने की कवायद

0
सपा में युद्ध-विराम, अखिलेश का भविष्य बचाने की कवायद
temporary Ceasefire in Samajwadi Party
temporary Ceasefire in Samajwadi Party
temporary Ceasefire in Samajwadi Party

लखनऊ। उत्तरप्रदेश की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में छिड़ी जंग का दूसरा दौर कहने को तो सपा मुखिया की मध्यस्थता के चलते सोमवार को थम गई। हालांकि इस बार का युद्ध विराम ‘चढ़ी कमानों’ का युद्ध विराम है जहां दोनों ओर के योद्धा और सेनाएं अब भी आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैंं।

जहां तक बीते दो दिनों के घटनाक्रम का सवाल है तो यह सब अंदरूनी तौर पर कई दिनों से उमड़-घुमड़ रहा था। चिट्ठी-पत्री के माध्यम से गूंज भी रहा था किन्तु फिजां में रविवार को इसका असर उस समय दिखाई दिया जब शिवपाल की अखिलेश समर्थकों को निकाले जाने की कार्यवाहियों से तंग आए मुख्यमंत्री अखिलेश ने पार्टी के एमएलए व एमएलसी की बैठक में अपना बहुमत देख शिवपाल व उनके समर्थक समझे जानेवाले मंत्रियों और अमरसिंह की करीबी जयाप्रदा से लालबत्ती छीन उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।

स्वाभाविक था कि शिवपाल पक्ष इसका जबाव देता। सभी इस जबाव की उम्मीद भी कर रहे थे, किन्तु रामगोपाल यादव के निष्कासन के रूप में जो जबाव सामने आया वह इतना हैरतअंगेज था कि उनके आलोचक भी भौचक्के रह गए।

इसके बाद तो घटनाओं की ऐसे बाढ़ आई कि मुलायमसिंह यादव को स्वयं मामला संभालने को लिए मैदान में उतरना पड़ा। मुलायम सोमवार की शाम लखनऊ पहुंच गये किन्तु सोमवार को बुलाई बैठक में ही कुछ कहने की कहकर खामोशी ओढ़ ली।

सोमवार भी अपेक्षित परिणाम न दे सका। समझौते के लिए की गयी मुलायम की पहल उस समय तार-तार हो गयी जब अखिलेश व शिवपाल मंच पर ही हाथापाई की स्थिति में आ गए। कहने को मुलायमसिंह ने दोनों के बीच कथित सुलह करा दी है। अखिलेश से शिवपाल के पांव भी छुवा दिए हैं किन्तु इसके बाद की तल्खियों ने आगे की कहानी स्वयं बयां कर दी है।

सामान्य राजनीतिक जानकार जहां इस घटनाचक्र को सपा के विघटन का पूर्वाभास मान रहे हैं वहीं मुलायमसिंह के राजनीतिक कौशल के जानकार इसे अखिलेश के राजनीतिक भविष्य को बचाने की कवायद के रूप में भी देखने लगे हैं।

इनके अनुसार बीते दो दिनों के घटनाक्रम को देखें तो इसका पहला निहितार्थ यही निकलता है कि स्वस्थ राजनीति के लिए प्रयास करते हुए अखिलेश को प्रत्येक अवसर पर इतना आहत किया जाता है कि वे अपने मन की नहीं कर पाते। इसी निहितार्थ की अखिलेश के राजनीतिक कैरियर को जरूरत भी है। यही मुलायमसिंह यादव का हेतु भी है।

इस राजनीतिक युद्ध का दूसरा निहितार्थ यह निकल रहा है कि युवा जहां अखिलेश का समर्थक है वहीं पुरानी पीढ़ी का नेता मुलायम-शिवपाल के इर्दगिर्द। इसी प्रकार स्वच्छ छवि के अधिकतर नेता जहां अखिलेश के साथ खड़े देखे जा रहे है, वहीं दागी छवि के नेतागण शिवपाल की आड़ बने दिखाई दे रहे हैं। मुलायम सिंह को अखिलेश के लिए इसी स्थिति की तलाश रही है।

हालांकि यह भी सिर्फ कयास ही हैं। फिलहाल का कटु सत्य यही है कि प्रदेश की सत्तारूढ़ दल में इस समय इस हद की उठापटक है कि कब क्या होगा? इसे आम आदमी या विश्लेषक ही नहीं, स्वयं इस लड़ाई के पात्र भी नहीं बता सकते।

साथ ही इस लड़ाई का एक कटु सत्य यह भी निकला है कि प्रदेश के पुराने सपाई अखिलेश को उसी स्थिति में देखना चाहते हैं जिसमें कभी कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री इदिरा गांधी को रखने की कोशिश की गयी थी। ऐसे में देखना यह है कि अखिलेश श्रीमती गांधी की तरह राजनीतिक साहस का परिचय देते हैं, अथवा पिता-चाचा के सामने झुकते हैं।

फिलहाल जो संभावनाएं सामने हैं उनके अनुसार-अखिलेश नया दल बना सकते हैं, मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे सकते हैं, पार्टी का विभाजन करा सकते हैं अथवा पिता व चाचा का आदेश शिरोधार्य कर सकते हैं।

वही शिवपाल व मुलायम अखिलेश को ही पार्टी से रामगोपाल यादव की तरह निष्कासित कर सकते हैं, मुख्यमंत्री पर दबाव बनाने के लिए सत्ता की कमान स्वयं अपने हाथ में ले सकते हैं अथवा रामगोपाल सहित अखिलेश के समर्थकों की वापसी कर सपा को कुछ समय और एक हुआ दिखा सकते हैं।

https://www.sabguru.com/sp-feud-open-spat-akhilesh-mulayam-inconclusive-meeting/

https://www.sabguru.com/shivpal-yadavs-supporters-thrown-white-pant-on-akhilesh-yadavs-poster/

 

https://www.sabguru.com/samajwadi-party-family-feud-hug-uncle-shivpal-yadav-says-mulayam-akhilesh-yadav/