नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में दिल्ली के लाजपत नगर बम ब्लास्ट के दोषी मोहम्मद नौशाद की पेरोल देने की अर्जी खारिज कर दी है।
चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि जिन्होंने ब्लास्ट करके कई लोगों की जानें ली उन्हें अंतरिम जमानत या पेरोल नहीं दी जा सकती है।
कोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति निर्दोषों की मौत जैसे नृशंस अपराध में शामिल हो उसे अपने पारिवारिक संबंधों को भूल जाना चाहिए।
जेकेएलएफ के सदस्य नौशाद ने अपनी बेटी की शादी समारोह में शामिल होने के लिए एक महीने के पेरोल की अनुमति मांगी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया । नौशाद की बेटी की शादी 28 फरवरी को शादी थी।
नौशाद ने याचिका में कहा था कि वह करीब बीस सालों से ज्यादा से जेल में बंद है। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि उसके खिलाफ सीधे कोई सबूत नहीं है।
आपको बता दें कि 21 मई 1996 को दिल्ली के लाजपत नगर की सेंट्रल मार्केट में में बम ब्लास्ट हुआ था जिसमें 13 लोगों की मौत हुई थी और 38 लोग घायल हुए थे।
इस मामले में नौशाद समेत जेकेएलएफ के छह सदस्यों को मौत की सजा सुनाई गई थी। नौशाद को 14 जून, 1996 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से विस्फोटकों के साथ गिरफ्तार किया गया था।