सपने आना और उनका भूल जाना हर इंसान के लिए आम बात है | जो सपने हम देखते है वो थोड़ी देर बाद हमें भूल जाते है और ऐसा लगता है जैसा कुछ हुआ ही ना हो | सपने क्यों आते हैं और कहा से आते हैं और ये हमें भूल क्यों जाते है इसके बारे में वर्षो से खोज चल रही है लेकिन अभी तक कोई भी बात स्पष्ट रूप से सामने नहीं आ सकी है |
एक रिसर्च में सामने आया है की जब हम जगते हुए किसी चीज को देखते है और उस चीज का अवोकन करते है तो वो हमारे अंतर्मन में बैठ जाती हैं और अंतर्मन में इस बात का जमाव ऐसा होता है की हमें वो चीजे सपने में दिखाई देने लगती है | यह मूल रूप से व्यक्ति की मानसिक दशा पर निर्भर करता है किस वक्त कौन सा आएगा कैसा आएगा और उसका क्या स्वरूप होगा | जैसा की एक छोटे बच्चो को सपना आएगा तो वो अपने आस पास उन्ही चीजो या लोगो को देखेगा जिन्हें अभी तक वो अपने जीवन में देख चुका है |
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रिसर्च में सामने आया है की अंधे व्यक्ति के सपने में चित्र नही होते बल्कि सिर्फ आवाज होती है और एक गूंगे व्यक्ति के सपने में आवाज नहीं होती और उसे सब कुछ वैसा ही सीखता है जैसा की जीवन जो जीता है | यानी की ये बात साफ़ तौर पे कही जा सकती है की सपनो का सीधा सम्बन्ध हमारे दिनचर्या से होता है |
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आज तक सपनो के बारे में लगतार हो रही खोजो से सिर्फ यही तथ्य सामने आया है की कही ना कही हम उन चीजो को जी चुके होते है या महसूस कर चुके है | सपनो के बारे में एक और बात अध्ययन में सामने आई है और वो है की सपने आमतौर पे एक इंसान उसकी उसी भाषा में देखता है जिसे वो पूरा दिन बोलता है , यानी की अंग्रेजी बोलने वाला इंसान अंग्रेजी में सपने देखेगा |
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