नई दिल्ली। कैग (नियंत्रक एवं लेखक परीक्षक) सहारा और बिड़ला डायरियों की जांच करेगा। कुछ दिन पहले कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया था कि गुजरात में नरेंद्र मोदी ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान सहारा और बिरला समूहों से पैसे लिये थे। बीते दिनों में कैग ने सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यगक्ष कर बोर्ड) से कहा था कि वह सभी सर्च के डेटा को शेयर करे।
वहीं, सीबीडीटी के एक सूत्र ने सहारा और बिड़ला डायरियों की कैग की ओर से ऑडिट करने की पुष्टि की है। कैग ने दोनों इंडस्ट्रियल समूहों पर की गयी सर्च की जानकारी की मांग की है। कैग की ओर से इस मामले में तीन महीने में जांच की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।
कैग ने पिछले चार वर्षों में आयकर विभाग की ओर से किये गये सभी बड़े सर्च और सीज ऑपरेशन का ऑडिट करना शुरू कर दिया है। सहारा की डायरियों में कथित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा कई बीजेपी पार्टी नेताओं और अन्य दलों के नेताओं के नाम शामिल हैं। इस डायरी में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित का भी नाम है।
एनजीओ कॉमन काज ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। बीते हफ्ते प्रधान न्यायाधीश मनोनित न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने इस मामले की सुनवाई करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इसमें कोई साक्ष्य नहीं है बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ केवल आरोप हैं। वकील प्रशांत भूषण से पीठ ने साक्ष्य प्रदान करने को कहा है ताकि वह इस बारे में निर्णय कर सके कि क्या वह याचिका स्वीकार कर सकती है।