लंदन। ब्रिटेन में ब्रेक्जिट पर जनमत संग्रह के बाद यूरोपीय कानून के वर्चस्व को खत्म करने के उद्देश्य से लाए गए एक विधेयक पर संसद में मतदान के बाद मंगलवार को इसे लागू करने की मंजूरी दे दी गई।
विधेयक के पक्ष में 326 मत और विपक्ष में 290 मत पड़े, जिसके बाद हाउस ऑफ कॉमन ने यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के निकलने को मंजूरी दे दी।
एफे न्यूज की खबर के मुताबिक, ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे द्वारा पेश किए गए इस विधेयक को ‘द ग्रेट रिपील बिल’ के नाम से भी जाना जाता है।
हाउस ऑफ कॉमन्स में गुरुवार को यूरोपीय समुदाय अधिनियम 1972 को रद्द करने की सिफारिश, ब्रिटेन को यूरोपीय समुदाय में जोड़े रखने को अधिकृत करने, ब्रिटेन में यूरोपीय संघ के कानून के वर्चस्व को खत्म करने संबंधी प्रस्ताव पर चर्चा हुई।
इस विधेयक में हजारों समुदायिक कानूनों को ब्रिटिश कानून प्रणाली में सम्मिलित किया जाएगा, ताकि यूके द्वारा यूरोपीय संघ छोड़ने की निर्धारित तारीख मार्च 2 9, 2019 से पहले एक नियामक खालीपन से बचा जा सके।
ब्रेक्जिट सचिव डेविड डेविसे ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस विधेयक के खिलाफ किया गया हर एक वोट यूरोपीय संघ से अव्यवस्थित ढंग से बाहर निकलने का वोट होगा।
विदेश सचिव बोरिस जॉनसन ने डेविस की बातों में हां में हां मिलाते हुए कहा कि जो लोग इसके खिलाफ मतदान करेंगे, वे प्रभावी ढंग से अराजक परिणाम लाकर ब्रेक्जिट को निराश करने के लिए मतदान करेंगे।
छद्म ब्रेक्जिट सचिव सर कीर स्टार्मर ने मतदान के नतीजे पर कहा कि बहुत ही निराशाजनक है..यह विधेयक संसदीय लोकतंत्र का अपमान है और यह सरकार के मंत्रियों द्वारा अतुलनीय शक्ति पर पकड़ को दर्शाता है।