श्यामपुरा वन क्षेत्र में 38 प्रजातियों की तितलियां देखी गई
बांसवाड़ा में ‘बटरफ्लाई वॉक’ का होगा आयोजन
सबगुरु न्यूज़ उदयपुर। बांसवाड़ा के श्यामपुरा वनक्षेत्र में तितलियों का सतरंगी संसार सजा है। इस क्षेत्र में तितलियों की 38 प्रजातियों की खोज सामने आई है। राजस्थान में पाई जाने वाली तितलियों पर पिछले बारह वर्षों से शोध कर रहे बटरफ्लाई एक्सपर्ट मुकेश पंवार दावा करते हैं कि बांसवाड़ा जिला मुख्यालय पर स्थित श्यामपुरा वन क्षेत्र अपने-आप में एक नेचुरल बटरफ्लाई पार्क है और इसे अपने मूल स्वरूप में ही संरक्षित किए जाने पर यहां और भी अधिक तादाद में तितलियों की प्रजातियां आकर्षित की जा सकती हैं।
बांसवाड़ा के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक कमलेश शर्मा ने बताया कि पंवार ने श्यामपुरा का भ्रमण कर 38 प्रजातियों की तितलियों को चिह्नित किया। पंवार का मानना है कि वागड़ अंचल की जैव विविधता पक्षियों और तितलियों के लिए सर्वाधिक अनुकूलता लिए हुए है और मात्र एक किलोमीटर क्षेत्र में एक साथ 38 प्रजातियों की तितलियों का देखा जाना अनूठा और आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा कि यह स्थान अब तक के भ्रमण में सर्वाधिक प्रजातियों को समेटने वाले स्थान के रूप में पाया गया है।
एक किलोमीटर में चार प्रजातियों की मेटिंग क्लिक
पंवार ने यह भी कहा कि इस वन क्षेत्र की समृद्धता का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि उन्होंने एक किलोमीटर क्षेत्र में ही एक साथ चार प्रजातियों की बटरफ्लाई की मेटिंग पोजीशन के फोटोग्राफ क्लिक किए। उन्होंने एक ही दिन में स्पॉटलेस ग्रास यलो, प्लेन टाइगर, ब्लू पेंसी और टाउनी कॉस्टर प्रजातियों की बटरफ्लाई के मेटिंग पोजिशन के फोटो क्लिक किए और इसे अब तक का अभूतपूर्व क्षण बताया।
यह प्रजातियां देखी
पंवार ने बताया कि वागड़ अंचल में करीब सौ प्रजातियों की तितलियां देखी जाती है और अकेले श्यामपुरा वन क्षेत्र में 38 प्रजातियों की तितलियों को देखा गया है। यहां पर कॉमन रोज, कॉमन जय, टेल्ड जय, लाइम, प्लेन टाइगर, ब्लू टाइगर, कॉमन टाइगर, ब्लू पेंसी, लेमन पेन्सी, यलो पेन्सी, टाउनी कॉस्टर, मोटल्ड एमीग्रांट, कॉमन एमीग्रांट, स्माल ओरेंज टीप, व्हाइट ओरेंज टीप, यलो ओरेंज टीप, स्माल ग्रास यलो, कॉमन ग्रास यलो, बरोनेट, इंडियन स्कीपर, इंडियन पाम बोब, फोरगेट मी नोट, ग्राम ब्लू, अफ्रीकन बबूल ब्लू, स्मोटेड स्माल फ्लेट, वेस्टर्न स्ट्रीप्ड अल्बाट्रोस, स्माल कुपीड, डार्क ग्रास ब्लू, टीनी ग्रास ब्लू, इंडियन रेड फ्लेश, राउडेड पीएरोट, कॉमन गल, पीओनिर, ग्रेट एग फ्लाई तथा डनाईड एग फ्लाई को देखा गया।
ये वनस्पतियां हैं खास
पंवार ने बताया कि श्यामपुरा वन क्षेत्र में स्थानीय घास, झाड़ियां और पेड़-पौधे इन तितलियों और शलभ को बेहद पसंद आते हैं और इनके कारण ये यहां पर इतनी बड़ी तादाद में पाई गई हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर अकेसिया कटेचु, कपेरिस और ड्रेगिया वेजुबिलीयम वनस्पति के साथ बेर, इमली, रोंज, खेजड़ी, कड़ा व कड़ई के पेड़-पौधों की अधिकता है और तितलियों, हनी बी व शलभ के लिए यह बहुत ही उपयुक्त है। उन्होंने यहां पर लेंटाना व हिपटिस जैसी वनस्पतियों को वन क्षेत्र व तितलियों के लिए हानिकारक बताया और इनको फैलने से रोकने की आवश्यकता जताई। उन्होंने यह भी कहा कि वन क्षेत्र में बाहरी प्रजातियों के पेड़-पौधों को लगाने की अपेक्षा स्थानीय प्रजातियों के पौधों को अधिकाधिक रोपा जाना चाहिए ताकि जैव विविधता की अनुकूलता बनी रहे।
बांसवाड़ा में ‘बटरफ्लाई वॉक’ का होगा आयोजन
श्यामपुरा वन क्षेत्र में इतनी बड़ी तादाद में तितलियों की प्रजातियों के पाए जाने पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक कमलेश शर्मा ने कहा है कि बहुत ही जल्द यहां पर वागड़ नेचर क्लब के तत्वावधान में ‘बटरफ्लाई वॉक’ का आयोजन किया जाएगा ताकि स्थानीय पर्यावरणप्रेमियों और विद्यार्थियों को इस जैव विविधता से रूबरू करवाया जा सके। उन्होंने बताया कि वन क्षेत्र में एक किलोमीटर के ‘बटरफ्लाई वॉक’ के दौरान बटरफ्लाई व नेचर एक्सपटर््स भी मौजूूद रहेंगे और लोगों को इन तितलियों व स्थानीय जैव विविधता के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी।