देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भारत सरकार काफी सक्रियता से काम रही है। यही वजह कि मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे ने अप्रैल 2019 से सभी तरह की कारों में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (एबीएस) फीचर को अनिवार्य तौर पर देने निर्देश दिए हैं।
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इस आदेश के तहत अप्रैल 2018 से लॉन्च होने वाले हर नए मॉडल में एबीएस जरूरी तौर पर शामिल होगा, इसके अलावा मौजूदा मॉडल की नई कारों में अप्रैल 2019 तक यह फीचर बतौर स्टैंडर्ड फीचर देना होगा। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सड़क हादसों के लिए प्रमुख तौर पर सही से ड्राविंग न आना, खराब सड़कें और खराब वाहन जिम्मेदार होते हैं। भारत में साल 2015 में सड़क हादसों में करीब 1.50 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।
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कई स्टडी और अध्ययनों से पता चला है कि एबीएस फीचर हादसों की संभावनाओं को 20 फीसदी तक कम करता है। अचानक से ब्रेक लगाने पर एबीएस फीचर पहियों को लॉक नहीं होने देता है, इस वजह से ड्राइवर कार का कंट्रोल नहीं खोता है और कार बिना फिसले और असंतुलित हुए दिशा बदल लेती है और रुक जाती है।
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एंट्री लेवल हैचबैक सेगमेंट की लोकप्रिय कारों जैसे मारूति सुज़ुकी ऑल्टो800, रेनो क्विड और हुंडई इयॉन में भी एबीएस फीचर का अभाव है। इनसे ऊपर के सेगमेंट की हैचबैक कारों मसलन मारूति सुज़ुकी बलेनो और इग्निस में यह फीचर दिए गए हैं। भारत में बिकने वाली टॉप-10 कारों में 50 फीसदी से ज्यादा कारें ऐसी है जिनमें एबीएस नहीं दिया गया है। हालांकि पैसेंजर सेफ्टी के प्रति बढ़ती गंभीरता को देखते हुए ज्यादातर कंपनियों ने इस दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
एबीएस के अलावा अक्टूबर 2017 से नए मॉडल की कारों में एयरबैग देना भी जरूरी हो जाएगा, वहीं अक्टूबर 2019 से पुराने या मौजूदा मॉडल की हर नई कार में एयरबैग देना जरूरी होगा।
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