जींद। हरियाणा के जींद जिले में हर साल आने वाले पहाड़ी तोते किसानों के लाखों रूपए के बेर चट कर जाते हैं।
चिता जलने से पहले अर्थी पर उठ बैठा मृत युवक
बागवानों को पहाड़ी तोतों का खौफ दिसंबर खत्म होते ही बढ़ जाता है। मज़ेदार वीडियो आम तौर पर इन तोतों का दिसंबर माह से आना शुरू हो जाता है लेकिन जनवरी माह में इनकी संख्या बढ़ जाती है। ये केवल बेर को ही नुकसान पहुंचाता है। तोते की चोंच इतनी पैनी होती है कि वह चंद सैकंड में ही बेर की गुठली को तोड़ कर उसके अंदर की गिरी को चट कर जाता है।
ऐसा शिवलिंग जिसके आकार में हर साल होती है बढ़ोतरी
दिसंबर माह में धुंध शुरू होते ही पहाड़ी तोते का आगमन शुरू हो जाता है।(VIDEO: इस आदमी ने कार में CNG भरने की जल्दी की तो गार्ड ने मारी गोली) शहर के विभिन्न हिस्सों में बेर के बाग हैं जो भी व्यक्ति बेर के बाग लेता है उसे सुबह से शाम तक बेरों की रखवाली करनी पड़ती है। अधिकतर खेतों में तो किसान बेर के पेड़ के ऊपर चारपाई लगाकर तोते उड़ाने का काम करते हैं।
किसानों की बातों पर अगर भरोसा किया जाए तो यह तोता देशी तोते से लंबा होता है(VIDEO: पति के आदमियों से शारीरिक संबंध पत्नी ने की खुदकुशी) और इसकी चोंच भी बड़ी होती है। यदि मनुष्य की उंगली तोते की चोंच में आ जाए तो उंगली बचनी मुश्किल है क्योंकि जिस गुठली को व्यक्ति दांतों से तोड़ने की हिम्मत नहीं जुटाता उसे ये तोते सैकेंड में तोड़ देते हैं।
जन्म से थी सामान्य, अब देखने वाला भी हो जाता है…
पहाड़ी तोता अमरूद या अन्य वस्तुओं को नहीं खाता।(VIDEO: पाकिस्तानी हॉट गर्ल कार डांस वीडियो) बेरों के अंदरगुठली को तोड़कर उसकी गिरी खाता है। उमरी बेरों को ही यह तोता खाता है। कैथली या झाड़ बेरी के बेरो को यह ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाता।
कैथली बेरी के बेरों की गुठली पतली होती है और उसकी गिरी ज्यादा बेहतर नहीं होती।(VIDEO: 5 टॉप वाटर प्रूफ स्मार्टफोन अपकमिंग 2017) गिरी को खाने के चक्कर में बेर बर्बाद होते हैं। पांच मिनट में पूरा पेड़ साफ कर देता है। गहरी धुंध में यह तोता बेरों को खाने के लिए आता है। यदि मौसम साफ हो तो इनकी संख्या नाम मात्र ही रह जाती है। ये तोते तेज आवाज से भगाते हैं।
आपको यह खबर अच्छी लगे तो SHARE जरुर कीजिये और FACEBOOK पर PAGE LIKE कीजिए, और खबरों के लिए पढते रहे Sabguru News और ख़ास VIDEO के लिए HOT NEWS UPDATE