नई दिल्ली । देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर अक्तूबर-दिसंबर की तिमाही में घटकर पांच प्रतिशत पर आ जाएगी। एचएसबीसी की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में सुस्ती से जीडीपी दर प्रभावित होगी। वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनी का मानना है कि 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद से विनिर्माण और सेवाओं के अलावा उपभोग और निवेश बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
एचएसबीसी के शोध नोट में कहा गया है कि अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में जीडीपी दर पांच प्रतिशत पर आएगी और जनवरी-मार्च तिमाही में यह छह प्रतिशत रहेगी। यह नोटबंदी से पहले के हमारे अनुमान से करीब दो प्रतिशत कम है।
नोट में कहा गया है कि मार्च तिमाही के बाद यह धीरे-धीरे सामान्य होकर फिर सात प्रतिशत के करीब पहुंचेगी लेकिन 7.5 से आठ प्रतिशत के दायरे में नहीं पहुंच पाएगी, क्योंकि कारोबार और उपभोक्ताओं को समायोजन की लागत को झेलना होगा।