सबगुरु न्यूज-आबूरोड। सांस्कृतिक कलाओं में फूहड़ता के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। क्योंकि इन कलाओं को देखकर दर्शक की मनोवृत्ति और भाव बदलते और बनते हैं। उक्त उदगार लगान, मुन्ना भाई और गंगाजल समेत कई फिल्मों में अपनी जलवा विखेरने वाली फिल्म अभिनेत्री ग्रेसी सिंह ने व्यक्त किये। वे ब्रह्माकुमारीज संस्था के शांतिवन में कला एवं सांस्कृतिक प्रभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में सम्बोधित कर रही थी।
उन्होंने कहा कि क्योंकि लोग पर्दे की हर चीज को रीयल जिन्दगी से जोड़ देते है। जबकि ऐसा नही होना चाहिए। सांस्कृतिक कलाओं में मूल्यनिष्ठता के समावेश से ही नया समाज बनेगा। पिछले कुछ वर्षों में कलाओं के स्तर में गिरावट आयी है। इसका कारण कलाओं के प्रति सजगता का ना होना है। मैं खुद ब्रह्माकुमारीज संस्थान से पिछले कई वर्षों से जुड़ी हूॅं। मैने महसूस किया है कि यदि व्यक्ति अन्दर से सुन्दर है तो बाहरी सुन्दरता मायने नहीं रखती है।
महाराष्ट्र के लेाक निर्माण राज्यमंत्री प्रवीन पोटे पाटिल ने कहा कि आज समाज में जिस मूल्यों का पतन हो रहा वह चिंताजनक है। क्योंकि भौतिक सुख सुविधाओं पर खड़े मनुष्य को कभी भी सच्ची सुख शांति नहीं मिल सकती जब तक कि वे अपने जीवन में आन्तरिक विकास ना कर ले। कलाकारों को इसके प्रति अपने दायित्वों को समझने का प्रयास करना चाहिए। कलाकारों की हर एक्टिविटी को लोग फालो करते हैँ। इसलिए इसपर ध्यान देना चाहिए।
समाज सेवा प्रभाग की अध्यक्षा बीके संतोष ने कहा कि लोगों आन्तरिक विकास को छोड़ भौतिक सुन्दरता की ओर भाग रहे है। इसके कारण समाज में कई तरह की विसंगतियां पनप रही हैं। ईश्वर के बताये मार्ग पर चलने से ही हमारे अन्दर मूल्यों का विकास होता है। कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज संस्था के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय ने कलाकारों का आह्वान किया कि वे अपने कलाओं से एक बेहतरीन समाज बनाने का प्रयास करें।
कार्यक्रम में टीवी एक्टर श्वेता शिन्दे तथा कला एवं संस्कृति प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका बीके कुसुम ने राजयोग द्वारा आंन्तरिक सुन्दरता बढ़ाने पर जोर दिया। वहीं रेडियो जाकी मुम्बई के अनुराग पांडेय ने कहा कि आजकल ज्यादातर कलाकार फूहड़ता का सहारा लेते है। जबकि इससे प्रसिद्धि के बजाए सस्ती लोकप्रियता मिलती है। बीके सतीष समेत कई लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये।