एनआईटी श्रीनगर में पिछले दिनों स्थानीय छात्रों और बाहरी राज्यों से पढऩे के लिए आए छात्रों के बीच उपजे विवाद के बाद अब ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि यहां हालात जल्द ही सामान्य हो जाएंगे। साथ ही एनआईटी में पैदा हुआ तनाव पूर्ण माहौल भी खत्म होगा तथा यहां अध्ययन-अध्यापन की गतिविधियां समान्य रूप से चलने लगेंगी।
एनआईटी में व्याप्त गतिरोध के बीच यहां परीक्षा आयोजित की गई। जिसमें स्थानीय छात्रों ने तो भाग लिया लेकिन बाहरी राज्यों के लगभग 1000 छात्रों ने परीक्षा में हिस्सा नहीं लिया। हो सकता है कि उन्हें बाद में परीक्षा में शामिल होने का अवसर प्रदान किया जाए। यहां स्थानीय प्रशासन द्वारा हालात को सामान्य बनाने तथा विवाद को और ज्यादा बढऩे देने से रोकने के लिये जो पहल की जा रही है उसे सराहनीय कहा जा सकता है।
क्योंकि हो सकता है कि बहुत से लोगों की मंशा यह रही हो कि वह एनआईटी में पैदा हुए अप्रत्याशित हालात की आड़ में अपनी नेतागिरी चमकाएंगे तथा छात्रों के किसी एक गुट की तरफदारी व दूसरे की मुखालफत करके अपने राजनीतिक जमीन तैयार करने में कामयाब हो जाएंगे क्यों कि पहले भी ऐसा होता आया है कि माहौल चाहे सृजन का हो या विध्वंस का, लोगों का राजनीतिक तिकड़म हर जगह हावी रहता है। लेकिन स्थानीय प्रशासन की सतर्कता एवं संवेदनशीलता ने एनआईटी श्रीनगर में ऐसे लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
हालाकि एनआईटी में मौजूद कुछ छात्रों में अभी भी भय व्याप्त है तथा उनकी तरफ से ऐसा कहा जा रहा है कि वह अपनी सलामती के लिए कैंपस से बाहर जाना चाहते हैं। ऐसे में अब यह कहा जा सकता है कि उन्हें घबराने या डरने की आवश्यकता नहीं है क्यों कि वहां सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं तथा स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह हालात को सामान्य बनाने के साथ-साथ छात्रों के मन में व्याप्त भय को दूर करके उनके मन में विश्वास का माहौल कायम करे।
साथ ही छात्रों को भी चाहिये कि वह भी हालात सामान्य होने में सहयोग प्रदान करें तथा एनआईटी छोडऩे का इरादा बनाने के बजाय यहां पढ़ाई कर अपना भविष्य खुशहाल बनाना सुनिश्चित करें वह नेतागिरी की फिराक में एनआईटी पहुंचने वाले लोगों का मोहर बनने से भी बचें। विगत दिनों अभिनेता अनुपम खेर यहां छात्रों से मिलने के लिए आ रहे थे। जिन्हें श्रीनगर एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया।
निश्चित ही प्रशासन का यह कदम सराहनीय है। क्यों कि व्यवस्था दुरुस्त करने तथा स्थिति को समान्य बनाने की जिम्मेदारी जिनकी है, उन्हें ही यह काम पूरा करना होगा। फिल्म तथा नाटक-नौटंकी में काम करने वाले लोग अचानक समाज में खुद को मसीहा के रूप में प्रस्तुत करने की कवायद में जुट जाएं तथा अपने व्यक्तित्व का लोगों के बीच में हौवा खड़ा करने लगे। सथ ही उनकी ऐसी गतिविधियों से यदि किसी अनिष्ट की आशंका बढ़ जाए तो उन्हें रोका व टोका जाना ही उचित होता है।
अनुपम खेर व उनके जैसे अन्य लोगों पर भी यह बात लागू होती है तथा उन्हें श्रीनगर एयरपोर्ट पर रोक कर बेहद समझदारी का परिचय दिया गया है। साथ ही दिल्ली से आए 150 लोगों को भी एनआईटी नहीं जाने दिया गया। इन लोगों के बारे में में बताया जा रहा है कि वह एनआईटी में देशभक्ति का माहौल पैदा करने के इरादे से पहुंचना चाहते थे।
लेकिन स्थानीय प्रशासन व पुलिस की सजगता से उनके अरमानों पर पानी फिर गया। वह लोग भी शायद एनआईटी की आग में घी डालकर अपना कुछ निहित उद्देश्य पूरा करना चाहते रहे होंगे। लेकिन प्रशासन ने ऐसा न होने देकर बेहद समझदारी दिखाई है। यह भी सराहनीय है कि एनआईटी के संचालक मंडल द्वारा परिसर में जल्द से जल्द शांति बहाल करने और शैक्षणिक गतिविधियों को फिर निर्बाध बनाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
सुधांशु द्विवेदी
लेखक प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक हैं