नई दिल्ली। जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि भारत को कश्मीर समस्या के समाधान के लिए अमेरिका और चीन की मदद लेने की जरूरत है।
अब्दुल्ला ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद कहा है कि वह कश्मीर समस्या को सुलझाना चाहते हैं। हमने उनसे नहीं कहा है। यहां तक कि चीन ने भी कहा है कि वह कश्मीर में मध्यस्थता करना चाहता है।
फारूख अब्दुल्ला संवाददाताओं के उस प्रश्न का जवाब दे रहे थे, जिसमें उनसे जम्मू एवं कश्मीर विवाद में तीसरे पक्ष के दखल के बारे में उनकी इच्छा पूछी गई थी। भारत सरकार कह चुकी है कि कश्मीर में किसी तीसरे पक्ष को शामिल करने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि आप वार्ता के लिए कब तक इंतजार करेंगे। क्या आप हजार साल इंतजार करेंगे? आप दोनों के पास परमाणु बम है। कितने सारे लोग मारे जाएंगे?
उन्होंने कहा कि यह तरीका नहीं है। सिर्फ संवाद ही रास्ता है। किसी मित्र की मदद लीजिए, हम कहते हैं कि हमारे पास पूरी दुनिया में मित्र हैं। इसलिए वार्ता के लिए उनकी मदद लिजिए और उनसे कहिए हम इसे सुलझाना चाहते हैं।
नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने कहा कि वह यह नहीं कह रहे हैं कि जम्मू एवं कश्मीर को पाकिस्तान को सौंप दीजिए।
उन्होंने कहा कि यदि आप में और मुझ में तनाव है और हम मतभेदों को हल करने में अक्षम हैं तो हम समस्या के समाधान के लिए दोस्तों की मदद लेते हैं। अब्दुल्ला ने कहा कि 70 साल बाद भी भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद का हल नहीं निकला।
उन्होंने कहा कि अभी तक कोई परिणाम नहीं आया। सीमा अभी भी वहीं है। चार युद्ध लड़े जा चुके हैं। आप कितना नुकसान चाहते हैं। जो रुपया हम यद्धक विमान या युद्ध की दूसरी मशीनरी खरीदने पर खर्च कर रहे हैं, यदि यह गरीब किसानों के लिए इस्तेमाल होता तो देश का तेजी से विकास होता। उन्होंने कहा कि आप को हल खोजने की जरूरत है। आप अडिग रहकर कुछ नहीं हासिल कर सकते।