चित्तौडग़ढ़। 15 हजार पदों के लिए होने वाली थर्ड ग्रेड शिक्षक भर्ती में इस बार कड़ा मुकाबला होने वाला है। अभ्यर्थियों की संख्या दो लाख तक पहुंच सकती है।
कुल एक लाख 97 हजार 629 अभ्यर्थियों को पात्र घोषित किया है, जबकि आरटेट 2011-2012 में भी 60 प्रतिशत इससे अधिक अंक लाने वाले नौकरी मिलने से वंचित रहे शेष अभ्यर्थियों की संख्या भी 20 हजार से अधिक है। तृतीय श्रेणी भर्ती में आरटेट 2011-12 के अभ्यर्थी भी शामिल होंगे।
इधर, अभ्यर्थी अब मेरिट लिस्ट का इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि यह सूची सरकार के स्तर पर जारी की जानी है। इसके बाद ही अभ्यर्थियों से जिले के लिए आवेदन मांगे जाएंगे। हालांकि अभी तक इस बारे में यह स्पष्ट नहीं है कि मेरिट बनाने के लिए बीएड के नंबर जुड़ेंगे या नहीं।
यह है रीट परीक्षा का पूरा गणित
रीट 2015 में बैठे प्रदेश के 6 लाख 17 हजार 348 अभ्यर्थी अपात्र होने के बाद शिक्षक भर्ती दौड़ से बाहर हो गए हैं। अपात्र होने वालों में से प्रथम स्तर में 76 हजार 829 और द्वितीय स्तर में 5 लाख 40 हजार 519 अभ्यर्थी शामिल हैं। जबकि प्रथम स्तर में 70 हजार 972 और द्वितीय स्तर में 1 लाख 26 हजार 657 अभ्यर्थी पात्र घोषित किए गए।
सरकार की अगली प्रक्रिया का इंतजार
रीट का परिणाम आने के साथ 15 हजार अभ्यर्थियों के शिक्षक बनने का रास्ता साफ हो गया। अब गेंद राज्य सरकार के पाले में है और अभ्यर्थियों को इंतजार है कि राज्य सरकार अगली प्रक्रिया कब शुरू करती है। बोर्ड सूत्रों के मुताबिक जिलावार पदों की संख्या अनुसार मेरिट और नियुक्तियों का मामला राज्य सरकार तय करेगी।
60 फीसदी से अधिक अंक लाने वाले पात्र अभ्यर्थियों से नियुक्ति के लिए जिलों के विकल्प मांगे जा सकते हैं। पंचायती राज विभाग की ओर से मेरिट में आए अभ्यर्थियों की नियुक्ति होगी। आरटेट 2011 के प्रमाण पत्र 2018 तक तथा आरटेट 2012 रीट 2015 के प्रमाण पत्र 2019 तक वैध रहेंगे।
रीट में बैठे प्रदेश के छह लाख 17 हजार &48 अभ्यर्थी अपात्र होने के बाद शिक्षक भर्ती की दौड़ से बाहर हो गए हैं। रीट 2015 की पात्रता सिर्फ तीन साल की गई है। जबकि आरटेट 2011-2012 की पात्रता सात साल है। ऐसे में इस परीक्षा पर सवाल खड़े होते भी दिख रहे हैं। क्योंकि रीट की विज्ञप्ति में यह स्पष्ट किया गया था कि यह शिक्षक भर्ती नहीं है। सिर्फ पात्रता परीक्षा है।
अभ्यर्थी इन्हीं मामलों को लेकर हाईकोर्ट में जाने की तैयारी में है। तर्क दिया जा रहा है कि जब रीट सिर्फ पात्रता परीक्षा है तो इसके आधार पर शिक्षक भर्ती कैसे हो सकती है? बोर्ड अध्यक्ष प्रो. बीएल चौधरी के मुताबिक रीट में उत्तीर्ण सभी अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा, जिसकी वैधता परीक्षा तीन वर्ष तक रहेगी।
साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि रीट परीक्षा उत्तीर्ण करने से ही किसी व्यक्ति को शिक्षक के रूप में भर्ती या रोजगार प्राप्त करने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं होगा। यह किसी भी भर्ती के लिए एक आवश्यक न्यूनतम मापदंड मात्र है।
इधर, राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेश संयोजक उपेन यादव ने बताया कि सरकार भर्तियों में विसंगतियां छोडक़र उन्हें कोर्ट में उलझाना चाहती है। यदि रीट में शैक्षणिक योग्यता के नंबर जोड़े गए तो उसका विरोध किया जाएगा।