लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन तलाक पर पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि जो लोग इस प्रकरण पर मौन हैं, उन्हें समाज कभी माफ नहीं करेगा। देश के हित में यह जरूरी है कि सभी के लिए कानून बराबर हो। अगर सभी संस्थाएं देशहित में काम करें तो टकराव की गुंजाइश नहीं रहेगी।
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 91वीं जयंती पर ‘राष्ट्रपुरुष चन्द्रशेखर-संसद में दो टूक’ पुस्तक का विमोचन करते हुए चन्द्रशेखर को सही मायने में समाजवादी विचारधारा का बताते हुए योगी ने कहा कि संसद के अंदर एवं बाहर व्यक्त उनके द्वारा दिए गए विचार आज भी प्रासंगिक हैं।
विधान भवन के राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संसद में बहस के दौरान विभिन्न विषयों पर उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचार दलगत राजनीति से हटकर मौलिक एवं भारतीय परिप्रेक्ष्य में प्रयुक्त होने वाले थे।
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कश्मीर समस्या के सम्बन्ध में उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि ‘कश्मीर जाएगा तो एक भूखण्ड नहीं बल्कि हमारी धर्मनिरप्रेक्षता और एकता चली जाएगी।’
चन्द्रशेखर लोकनायक जयप्रकाश नारायण, डॉ. लोहिया एवं आचार्य नरेन्द्र देव की समाजवादी विचारधारा के संवाहक थे। उन्होंने कहा कि चन्द्रशेखर हमेशा बिना लाग-लपेट के संसद में बेबाकी से अपनी बात कहते थे।
वे हमेशा संविधान के दायरे में रहकर लोकतांत्रिक ढंग से राजनीति करने के हिमायती रहे। इसीलिए वर्ष 1975 में जब देश में आपातकाल रोपित किया गया तो उस समय उन्होंने कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पुस्तक में चन्द्रशेखर के भाषणों को जगह दी गई है, जिनमें वे देश की तमाम समस्याओं एवं पड़ोसी देशों से भारत के सम्बन्ध विषयों पर बेबाकी से अपने राय रखते हैं। वे अकेले थे, लेकिन अनेक विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करते थे।
कई लोगों को यह भ्रम होता है कि चन्द्रशेखर नास्तिक थे, लेकिन उन्होंने स्वयं महंत अवैद्यनाथ से कहा था कि वे अपने आश्रम में भारत की सनातन परम्परा एवं धार्मिक मूल्यों का पूरा ध्यान रखते थे।
मुख्यमंत्री ने मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करते हुए कहा कि अक्सर नकारात्मक पक्षों को ध्यान न देते हुए अगर सोच सकारात्मक हो तो समाज में रचनात्मक कार्यो को बढ़ावा दिया जा सकता है और यह काम मीडिया बाखूबी कर सकता है।
वहीं विधान सभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि वे जमीन से जुड़े नेता थे और संविधान तथा लोकतंत्र के विरुद्ध कोई भी बात स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होते थे। इस दौरान विधायक रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) एवं विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह भी मौजूद थे।