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threat or use force to resolve south china sea dispute will complicate matters : pm modi
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पीएम का दक्षिण चीन सागर पर कड़ा संदेश : धमकी या बल से विवाद नहीं सुलझता

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पीएम का दक्षिण चीन सागर पर कड़ा संदेश : धमकी या बल से विवाद नहीं सुलझता
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वीएनटीएन (लाओ पीडीआर)। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर दक्षिण चीन सागर मे चीन के बढ़ते प्रभुत्व पर दो टूक कहा है कि धमकी अथवा बल के प्रयोग से कोई विवाद नहीं सुलझता बल्कि और भी पेचीदा हो जाता है।

लाओ पीडीआर की राजधानी वीएनटीएन में आयोजित 11वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में आतंकवाद, समुद्री सुरक्षा और प्राकृतिक आपदा भारत के मुख्य मुद्दे रहे।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून और समूद्र के कानून पर बने 1982 के संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुसार भारत दक्षिण चीन सागर में ‘मुक्त आवाजाही’ और ‘निर्बाध व्यापार’ का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर से गुजरने वाले समुद्री लेन वैश्विक व्यापार की जीवन रेखा है।

प्रधानमंत्री ने दो टूक कहा कि हम मानते हैं कि धमकी अथवा बल के प्रयोग से विवाद सुलझाने की बजाय मामला और भी पेचीदा हो जाता है, जिसका प्रभाव क्षेत्र की शांति और स्थिरता पर पड़ता है।

समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) का हिस्सा होने के नाते भारत सभी से यूएनसीएलओएस के प्रति सम्मान रखने और अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने की अपील करता है।

उन्होंने कहा इस संदर्भ में बांग्लादेश के साथ भारत ने जिस तरह से अपना समुद्री सीमा विवाद निपटाया वह अपने आप में एक मिसाल है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि समुद्री सुरक्षा और सहयोग पर दूसरा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत करेगा।

इसी साल जुलाई में अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने कहा था कि ऐसा कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं हैं कि चीन का इस समुद्र और इसके संसाधनों पर एकाधिकार रहा है। वहीं चीन ने अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को ‘ढोंग’ करार देते हुए खारिज कर दिया था।

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में 10 एशियाई राष्ट्रों के नेताओं ने हिस्सा लिया जिनमें भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में एक ही दिन में दूसरी बार आतंकवाद को लेकर पड़ोसी देश पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोस में एक ऐसा देश है जिसके पास आतंकवाद पैदा और निर्यात करने की दक्षता है। आतंकवाद का यह निर्यात शांति की जगह को कम कर रहा है और हिंसा फैला रहा है।

उन्होंने कहा कि एक बहुलवाद समाज के लिए आतंकवाद सबसे गंभीर चुनौती है जिससे सबको मिलकर निपटना होगा। उन्होंने सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले सभी देशों से अपील की, ‘हमें केवल आतंकवादियों पर ही नहीं बल्कि उनको समर्थन देने वालों पर भी निशाना साधना चाहिए।

हमें उन देशों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जो आतंकवाद को अपनी नीति के औजार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में भारत सहित कई देश शांति और आर्थिक समृद्धि की राह पर चलना चाहते हैं। लेकिन एक देश है जो पूरे क्षेत्र में आतंक का उत्पादन और निर्यात कर रहा है।

इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और संसाधनों के संरक्षण पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा समुद्री संसाधनों के संरक्षण, वातावरण की रक्षा और ‘ब्लू’ अर्थव्यवस्था के दोहन के लिए सभी देश अपने अनुभव साझा कर सकते हैं और भागीदारी मजबूत बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने साझा सुरक्षा चुनौतियों के प्रति जागरूक होने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा, पारंपरिक और गैर पारंपरिक चुनौतियां इस क्षेत्र की शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए खतरा है। प्रधानमंत्री मोदी ने प्राकृतिक आपदा को चिंता का विषय बताया। उन्होंने इस दिशा में सभी देशों के बीच समन्वित दृष्टिकोण अपनाने में मदद करने की घोषणा की।