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दंगे की आंच में झुलसा राजनीतिक भविष्य - Sabguru News
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दंगे की आंच में झुलसा राजनीतिक भविष्य

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सिरोही। राजनीतिक जीवन में चमकने के लिए की गयी उन्मादी हरकत जीवन भर के लिए राजनीतिक सन्यास की स्थिति पैदा कर सकती है। राजनीति में अपराधियों और दागियों को रोकने के लिए निर्वाचन विभाग के नए आदेशों ने सिरोही में भाजपा के 4 प्रत्याशियों के राजनीतिक जीवन पर विराम लगा दिया है।

इसमें सिरोही नगर परिषद् में भाजपा के वार्ड 9 के प्रत्याशी सुरेश सगरवंशी, 13 के हनुमान प्रजापत और 16 के मनोज पुरोहित के आवेदनों को सिरोही के रिटर्निंग अधिकारी ओ पी बिश्नोई ने ख़ारिज कर दिया है। ये तीनों 2008 में सिरोही में हुए दंगों में आरोपी बनाये गए हैं। इस दंगे में कोतवाली थाने में तोड़फोड़ और नीलवाणी चोक में एक दुकान जलाई गयी थी। इस पर तत्कालीन थानाधिकारी कमलसिंह ने करीब 2 दर्जन से ज्यादा लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करवाई थी।

अब काम आएगा प्लान
पार्टी सूत्रों की माने तो इन तीनों को पहले ही टिकट नहीं देने का निर्णय हो चुका था। लेकिन 11 नवम्बर को जैसे ही सूची में इन तीनों नामों के नहीं होने की बात सामने आई वैसे ही तीनों वार्डों में वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ असंतोष होने की बात सामने आई। पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इस पर विवादों को टालने के लिए पार्टी नेताओं ने खुद कोई निर्णय करने की बजाय निर्वाचन अधिकारीयों के पाले में ही गेंद डालने का मानस बना लिया। इधर उन्होंने अपने प्लान बी पर भी काम शुरू करते हुए डमी कैंडिडेट पहले ही तैयार कर दिए थे। इससे भाजपा को इन तीनों वार्डों के आवेदन निरस्त हो जाने की सूरत में विकल्प मिल गए और वार्ड में दोहरे विरोध से बीही छुटकारा मिल गया।

सोमवार को ही कर दिया था आवेदन
भाजपा के इन तीन वार्डों में नाम तय होते ही सिरोही न्यायलय में 2008 में हुए दंगों के केस की पत्रावली निकलवाने के लिये आवेदन कर दिया गया था। जैसे ही मंगलवार को इसकी प्रतिलिपी मिली वैसे ही बुधवार को विरोधी खेमे ने बुधवार को रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष इसकी आपत्ति लगवा दी।
वैसे इस ही मामले के लिए इनकी पार्टी से ही टिकट लेने के इच्छुक लोग भी इन प्रतिलिपियों को निकलवाने की फ़िराक में थे। वैसे इस निर्णय से काँग्रेस से ज्यादा भाजपा खेमे में हर्ष है क्योंकि सिरोही नगर परिषद् की सीट ओबीसी के लिए आरक्षित है। सुरेश सगरवंशी इस पद के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। अब इनके बाहर हो जाने से ताराराम माली की सभापति पद के लिए दावेदारी और प्रबल हो गयी है।

पहले ही दे दिए थे डमी के नाम
भाजपा के स्थानीय नेतृत्व को पहले ही नके अंजाम का पता था इसलिए इन लोगों ने 11 नवम्बर को ही वार्ड 9 से प्रवीण, 13 से रणछोड़ और 16 से दिलीप ओझा का नाम डमी कैंडिडेट रूप में प्रस्तुत कर दिया था। अब ये तीनों व्रयक्ति भाजपा के सिम्बल से चुनाव लडेगे।
रिटर्निंग अधिकारी ओ पी बिश्नोई ने बताया कि असल में निर्वाचन आयोग ने पंजीकृत राजनीतिक पार्टियों को ये सुविधा दे रखी है कि वे मुख्य प्रत्याशी के साथ फॉर्म ख में डमी कैंडिडेट के नाम भी दे सकती है। इसी सुविधा के तहत भाजपा ने सिरोही नगर परिषद् चुनावों में अपने मुख्य कैंडिडेट के साथ डमी कैंडिडेट के भी नाम दे दिए थे। सबगुरु न्यूज़ ने 11 नवम्बर के फ्रंट फुट पर खेलना भारी ना पड़ जाए शीर्षक से समाचर् में भाजपा के तीनों डमी कैंडिडेट के नामों का खुलासा कर दिया था। इधर इस बात की भी जानकारी मिली है कि नए लड़कों के सामने वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को दूसरी श्रेणी में रखने से डमी कैंडिडेट भी खुदको अपमानित महसूस कर रहे हैं। ऐसे में कोई चौंकाने वाला हंगामा भी सामने आ सकता है।

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