लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने शुक्रवार को लखनऊ के अलीगंज थाना क्षेत्र से तीन ठगों को गिरफ्तार किया। पकड़े गए बदमाश अपना काम करवाने के लिए खुद को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निजी सहायक बताकर अधिकारियों को फोन कर उन पर कार्रवाई का दबाव डालते थे।
यूपी एसटीएफ के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) मनोज तिवारी ने शुक्रवार को बताया कि कानपुर के उप श्रमायुक्त आर.के. मिश्रा को मुख्यमंत्री का निजी सचिव बनकर एक व्यक्ति ने फोन किया था और उन पर एक कंपनी के सभी प्रतिष्ठानों पर छापा मारने का दवाब बनाया था। संदेह होने पर डीएम कानपुर के संज्ञान में लाया गया।
तिवारी ने बताया कि छानबीन के दौरान पता चला कि संबंधित अधिकारी के मोबाइल पर मोबाइल नंबर ट्रू-कॉलर पर मुख्यमंत्री का नाम दर्शा रहा था। इसी दौरान ऐसे अन्य मामले में सामने आए तो मामले की जांच के लिए टीम को लगाया गया।
उन्होंने बताया कि एसटीएफ ने जांच कर, सर्विलांस और सटीक सूचना के आधार पर शुक्रवार को अलीगंज थाना क्षेत्र में कपूरथला के पास स्थित वर्मा बेकरी से तीन ठगों को गिरफ्तार किया, जो अधिकारियों को फोन करते थे।
पकड़े गए ठगों की पहचान मूल रूप से उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार निवासी अतीश कुमार मिश्रा, बस्ती निवासी हनुमान शुक्ला और गोंडा निवासी राहुल उपाध्याय के रूप में हुई। डीआईजी ने बताया कि अतीश गिरोह का सरगना है।
वहीं हनुमान शुक्ला के विरुद्ध लखनऊ, बस्ती, कानपुर नगर, सीतापुर व गोंडा में लगभग 10 मुकदमे दर्ज हैं। वह बस्ती में हुए राहुल मद्धेशिया अपहरण कांड में भी शामिल था, जिसमें उसके साथ पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी भी अभियुक्त थे। इसके अलावा वह सिंचाई विभाग के जेई रवि प्रताप हत्याकांड का भी प्रमुख अभियुक्त था।
डीआईजी ने बताया कि पकड़े गए ठगों ने फर्जी आईडी पर सिम लिया था, जिसके नंबर को योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के नाम से ‘सेव’ किया गया था। इस फोन से राहुल उपाध्याय खुद को मुख्यमंत्री का निजी सहायक बताकर अधिकारियों को फोन कर धमकाता और कार्रवाई करने का दबाव डालता था।