सबगुरु न्यूज। सदियां बीत गयीं। युग बदल गए। सब कुछ बदल गया लेकिन तेरी महिमा नहीं बदली, वरन् दिनों दिन जगत में फैलती रहीं। आज भी ऐसा लगता है कि अभी अभी जगत पिता ब्रहमाजी ने सृष्टि यज्ञ कराया है और अपनी यज्ञ स्थली को पवित्र जल से भर दिया गया है।
इस पवित्र धरा पर दैव ओर दानव अपनी अपनी अपनी इच्छाएं पूरी कर रहें है और मानव सभ्यता और संस्कृति को यह संदेश दे रहे हैं कि ये मानव तू इसे “पद्म पुराण ” की कथा ही मत समझ, अंहकार छोड़ और हकीकत की दुनिया में जी। प्रभु नाम का आनंद ले, तीर्थ स्थल पुष्कर की भूमि पर मन में श्रद्धा रखने से ही तेरा व तेरी पीढियों का उद्धार हो जाएगा भले ही तू किसी भी जप तप को मत कर।
हे श्रेष्ठ मानव यहां पर सीता रूपी अग्नि लक्ष्मी जी ने तप कर श्री और समृद्धि का वरदान प्राप्त कर जगत को धन दौलत से भर दिया, वही जरतथ कारू ऋषि की पत्नी ने पति की सेवा कर शिव से वरदान पाकर मनसा देवी के रूप मे आस्तिक ऋषि की माता बन नागों की देवी कहलाई।
इतना ही नहीं बल्कि शुंभ व निशुंभ दो दैत्यों ने पुष्कर भूमि पर तप करके देवराज इन्द्र को परास्त कर स्वर्ग पर विजय का झंडा बुलंद किया। हजारों ऋषि मुनियों ने यहां तप कर कई सिद्धियों का प्राप्त कर लोक कल्याण के लिए कार्य किया।
सदियों से यहा लाखों मृत आत्मा की अस्थि विसर्जन से मोक्ष मिला तो पिंड तर्पण ओर श्राद्ध से आत्माएं संतुष्ट हुईं। यहां तक की श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध कर उनकी आत्मा को मोक्ष पद दिलवाया।
हजारों आक्रमणकारी यहां आए और वे भी इस भूमि को बहुत कुछ करने के बाद भी अपवित्र नहीं कर पाए। हे मानव यह तीर्थ स्थल पुष्कर राज स्वत: ही सदा पवित्र रहेगा। फिर भी लोकाचार में इसकी पवित्रता केवल जल से ही नहीं वरन् आस्था श्रद्धा व उपासना तथा मन की मलिनता को हटासे से बनीं रहेंगी।
यह कार्तिक मास इस की जप तप दान पुण्य से ही पवित्रता बनाएं रखेंगे इसलिए यहां नियमित दीपदान कर दर्शन व परिक्रमा कर निश्चित रूप से यह सब के लिए कल्याण कारी रहेगा। छल कपट झूठ फरेब लालच और अंहकार को छोड़ तू इस भूमि पर स्वत: ही सब कुछ पा लेगा।
सौजन्य : भंवरलाल