बीजिंग। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और चीन के बीच अनसुलझे सीमा विवाद का उल्लेख करते हुए कहाकि दोनों देशों ने के सम्बन्ध हाल के दशकों में जटिलता से भरे रहें हैं।
लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली कु चियांग से वार्ता के दौरान उन्होंने महसूस किया कि चीन के नेता भारत की भावनाओं को भलीभांति समझते हैं तथा विवादों को हल किया जा सकता है।
मोदी की चीन यात्रा के दूसरे दिन शुक्रवार को दोनों देशों ने विभिन्न क्षत्रों में सहयोग के 20 से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए। मेहमान प्रधानमंत्री ली की साथ प्रनिधिमंडल वार्ता के दौरान अपने प्रेस वक्तव्य में मोदी ने सीमा विवाद की ओर संकेत करते हुए कहाकि चीनी नेताओं से उनकी वार्ता कहाकि सकारात्मक, मैत्रीपूर्ण और साफगोई से भरी भरी थी। उन्होंने उन सवालों को भी उठाया जो समय समय पर समस्याएं पैदा करते हैं।
उन्होंने कहाकि दोनों देशों पर यह यह ऐतिहासिक जिम्मेदारी है कि वे अपने संबंधों को ऐसा बनाएं जो उन्हें ताकत दे तथा दुनिया में कल्याण की एक ताकत बनकर उभरे। उन्होंने सकल्प व्यक्त किया एशिया के ये दो महान देश आपसी संबंधों की एक नई दिशा तय करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्हें विश्वास हैकि चीन के राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री ली भी आपसी सम्बन्धों को इसी सकारत्मक दिशा में ले जाने के लिए प्रयत्नशील हैं।
मोदी ने 21 वीं सदी को एशिया की सदी बनाने के अपने विचार की क्रियान्वित करने के लिए दोनों देशों के अच्छे संबंधों की वकालत की तथा कहाकि चीनी नेताओं को अपने रवैये में बदलाव लाना चाहिए। जिन मुद्दों के कारण दोनों देशों के सम्बन्ध अपनी क्षमताओं के अनुरूप आगे नहों बढ़ पा रहे हैं उस बारे में पड़ोसी देश के नेताओं को अपने रुख में तब्दीली लानी चाहिए।
सीमा विवाद के कारण संबंधों में अवरोध का जिक्र करते हुए मोदी ने कहाकि चीन के नेताओं को इस सम्बन्ध में एक दीर्घकालिक और रणनीतिक दूरदृष्टि का परिचय देना चाहिए। मोदी ने कहाकि मेहमान नेताओं ने इस बारे में सकारात्मक संकेत दिया।
प्रधानमन्त्री ने कहाकि वार्ता के दौरान दोनों देशों ने सकल्प व्यक्त किया की वे सीमा विवाद का उचित और दोनों पक्षों को स्वीकार्य हल निकालने के लिए प्रयास जारी रखेंगे। दोनों देश सीमा क्षत्र में शान्ति और सामान्य स्थिति बनाए रखने के लिए पूरी तरह समर्पित हैं तथा इस बारे में हर संभव कदम उठाएंगे।
मोदी ने कहाकि चीनी नेता भारत की संवेदनशीलता को समझते हैं तथा विश्वास बहाली के उपायों को और पुख्ता बनने के और कदम उठाने के लिए सहमत हैं। उन्होंने कहाकि वास्तविक नियंत्रण रेखा के सम्बन्ध में और स्पष्टता जरूरी है।
प्रधानमन्त्री ने कहाकि भारतीय नागरिकों को वीसा दिए जाने और दोनों देशों के बीच बहने वाली नदियों के जल प्रबंधन के मुद्दों को भी उन्होंने उठाया। उल्लेखनीय है कि चीन अरुणांचल प्रदेश और कश्मीर के नागरिकों को अलग से नत्थी वीसा जारी करता है जिस पर भारत को आपत्ति है। इसी तरह ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह को चीनी क्षेत्र में बाध बना कर अवरुद्ध करने को लेकर भी भारत आशंकित है।
मोदी ने कहाकि एक दूसरे की भावनाओं की क़द्र करते हुए दोनों देशों को आगे बढऩा चाहिए आपसी विश्वास और समझदारी बदनी चााहिए और अपने मतभेदो के बारे में परिपक्व एवं जिम्मेदारीपूर्ण रवैया अपनाना चाहिए। अनसुलझे मुद्दों को हल करने की ओर बढऩा चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहाकि इसी उद्देश्य से दोनों देशों ने अपना रणनीतिक संवाद तथा इस इलाके में अपना सहयोग बढ़ाने का फैसला किया जो महत्वपूर्ण कदम है।
आर्थिक सहयोग का महत्वाकांक्षी लक्ष्य
मोदी ने कहाकि भारत और चीन ने आर्थिक साझेदारी का एक बड़ा लक्ष्य तैयार किया है। इस खतरा में दोनों देशों केलिए काफी अवसर हैं। दोनों देश नगरीकरण जैसी सामान समस्याओं का सामना कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री ली दोनों मेक इन इंडिया मिशन और भारत में आधारभूत ढांचे के विकास की परियोजनाओं में चीन की भगीदारी के समर्थक हैं।
मोदी ने बतायाकि शनिवार को शंघाई में निजी क्षेत्र के तत्वावधान में चलने वाले 20 प्रोजेक्टों को अंतिम रूप दिया जाएगा। उन्होंने कहाकि चीन के नेता द्विपक्षीय व्यापार में असंतुलन की भारत की चिंता से भी सहमत हैं। प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्तकी कि व्यापार असंतुलन दूर करने के लिए शीघ्र ही जमीनी स्तर पर कदम उठाए जाएंगे।
भारत और चीन के लोगों के बीच सांस्कृतिक सम्बन्ध बढ़ाने के उद्देश्य से भारत ने कुन्मिंग में एक योग केंद्र और शंघाई में गांधी एवं भारतीय विद्या अध्ययन संस्थान खोलने की घोषणा की। इसी तरह दोनों देश बौद्धिक आदान प्रदान के लिए साझा थिंक टैंक भी स्थापित करेंगे। प्रधानमंत्री ने कैलाश मानसरोवर के लिए सड़क मार्ग वाला नया रास्ता श्रद्धालुओं के लिए खोलने के लिए चीन के नेताओं को धन्यवाद दिया। यह मार्ग अगले महीने से चालू हो जाएगा।
आतंकवाद भारत और चीन के लिए समान खतरा
मोदी ने कहाकि आतंकवाद भारत और चीन के लिए समान खतरा है। पश्चिम एशिया में अशांति और अफग़़ानिस्तान के घटनाक्रम से भी दोनों देश प्रभावित होते हैं। इन परिस्थितियों में दोनों देशों के बीच सहयोग बहुत जरूरी है। चीन के महत्वाकांक्षी सिल्क रोड प्रोजेक्ट और ऐसी ही भारतीय परियोजनाओं की ओर संकेत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि क्षेत्रीय संपर्क बहुत आवश्यक है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के बारे में भी दोनों देशों सरोकार की चर्चा की।