सबगुरु न्यूज़ उदयपुर। नाथद्वारा का जब भी आधुनिक इतिहास लिखा जाएगा तब दिनांक 14 सितबंर 2017 का पन्ना स्वर्ण अक्षरों में लिया जाएगा। नाथद्वारा के श्रीनाथ मंदिर की ओर जाने वाले मार्गों के सभी व्यापारियों ने स्वेच्छा से पहल कर अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान, दुकानों के आगे के अतिक्रमण हटाए, हजारों की लागत से बनवाए साइन बोर्ड हटाए, टीन शेड तक का हाथोंहाथ उतारना शुरू कर दिया।
पुष्टिमार्गीय संप्रदाय की प्रधानपीठ होने तथा स्वयं श्रीनाथजी यहां विराजने से नाथद्वारा एक ख्यातनाम धार्मिक पर्यटन का केन्द्र है। यहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शनार्थी अपने परिवार सहित अराध्य प्रभु श्रीनाथजी को नमन करने आते हैं। नाथद्वारा की 90 प्रतिशत इकोनोमी श्रीनथ मंदिर और श्रद्धालुओं पर निर्भर है।
गला काट व्यवसायिक प्रतिस्पद्र्धा के चलते यहां हर कोई अतिक्रमण को जन्म सिद्ध अधिकार समझने लगा था। इसका परिणाम यह हुआ कि नाथद्वारा के मंदिर क्षेत्र में आम लोगों का पैदल चलना एक छोटा मोटा अभियान लगने लगा था। प्रशासन ने कई प्रयास किए मगर प्रशासन सिर्फ अपने वीआईपी के लिए फौरी कार्रवाई कर कर्तव्य की इतिश्री कर लेता था।
स्थानीय नागरिकों और आम श्रद्धालुओं के सुगम आवागमन सुचारू करने की कोई पहल नहीं की गई। नतीजा यह हुआ कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अतिक्रमण हटाने का कोई प्लान है तो उसे पेश करने का अंतिम अवसर है अन्यथा मंदिर मंडल के मार्ग चौड़ा करने के प्लान को स्वीकृति प्रदान कर दी जाएगी।
गत 10 वर्षों से चल रही इस जनहित याचिका के अंतिम समय तक इस भारी तोड़ फोड़ के खिलाफ कोई बंदा नाथद्वारा का पक्ष रखने तक नहीं पहुंचा। स्थिति यहां रही कि न्यायालय की ओर से नाथद्वारा वासियों का पक्ष जानने के लिए न्याय मित्र तक की व्यवस्था दी गई पर कभी किसी ने परवाह ही नहीं की।
13 सितबंर 2017 को जोधपुर उच्च न्यायालय में पालिका उपाध्यक्ष परेश सोनी की अगुवाई में एक प्रतिनिधि मंडल ने न्यायालय में पहुंच कर नाथद्वारा का पक्ष रखते हुए कहा कि यदि नाथद्वारा के व्यापारी अपना अतिक्रमण स्वयं हटा लेता है तो नाथद्वारा की सड़केंं पर्याप्त रूप से चौड़ी हो जाएंगी तथा नाथद्वारा का मूल स्वरूप भी बना रह सकता है। उच्च न्यायालय ने पहले तो यह तक कह दिया कि आपने आने में बहुत देर कर दी फिर कहा कि यदि आवागमन सहज हो जाए तो न्यायालय आपके पक्ष पर भी विचार कर सकता है।
सूत्रों की माने तो न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर ने कहा कि पहले आप अतिक्रमण हटाएं, आप को 5 दिन का अवसर प्रदान किया जाता है तथा 18 सितंबर को अगली सुनवाई मुकर्रर कर दी। न्यायमूर्ति ने यहां तक कहा कि वे स्वयं इस बात का निरीक्षण अपने स्तर पर करवा रहे हैं।
उच्च न्यायालय में हुई इस वार्ता से प्रतिनिधि मंडल को उम्मीद की एक किरण नजर आई। आखिर 14 सितंबर 2017 को सुबह का नजारा ही अलग नजर आ रहा था, बिना किसी पीले पंजे के लोग अपने अपने अतिक्रमण हटाने में लगे गए।
सर्वप्रथम गांधी रोड पर पालिका उपाध्यक्ष परेश सोनी ने अपनी दुकान के टीन शेड स्वयं हटा दिया। इसके बाद तो अतिक्रमण हटाने का ऐसा सिलसिला प्रारंभ हुआ कि दोपहर तक तो बाजारों की चौड़ाई भी नजर आने लगी, भारी टीन शेड एवं कीमती साइन बोर्डों के हटाने से आसमान तक खुला नजर आने लगा।
कहते हैं कि इतिहास अपने को दोहराता है, यहां के बुजुर्ग लोगों ने बताया कि सन् 1961 में वर्तमान उपाध्यक्ष परेश सोनी के दादाजी स्वर्गीय गिरधारी सोनी पालिका के अध्यक्ष थे उस समय भी उन्होंने ऐसे ही एक अतिक्रमण हटाओ अभियान की शुरुआत की थी। सर्वप्रथम उन्होंने भी अपने ही घर की चबूतरी तोड़ कर पहल की थी।