मुंबई। मशहूर अभिनेत्री सायरा बानो ने अपने पति और दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार के लिए एक स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन की कामना की है। दिलीप कुमार शनिवार को 93 साल के हो गए।
सायरा ने कहा कि मैं उनके लिए दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की कामना करती हूं। वह ठीक हैं। पिछले दो-तीन माह में उतार-चढ़ाव लगे रहे लेकिन अब वह ठीक हैं। उनके लिए मेरा बहुत सा प्यार और सेवाएं। मैं भौतिक चीजें देने में यकीन नहीं राती, वह तो हम अक्सर देते रहते हैं। खाली समय में दिलीप कुमार टीवी पर खेल देखते हैं और संगीत सुनते हैं।
उन्होंने कहा कि वह हर रोज बगीचे में टहलने जाते हैंं। वह टीवी पर किक्रेट, फुटबॉल जैसे खेल देखते हैं। उन्हें शास्त्रीय संगीत पसंद है। वह एक ‘एथलेटिक’ इंसान रहे हैं। उन्हें यात्रा पसंद है। उन्हें उटी, महाबलेश्वर, लंदन पसंद हैं।
अपने पति की तारीफ करते हुए सायरा ने आगे कहा कि वह एक संत जैसे हैं। हमेशा दूसरों के लिए अच्छे की कामना करते हैं फिर चाहे दूसरे ऐसा न कर रहे हों। गुरुवार रात से ही दिलीप कुमार के लिए बधाइयों और उपहारों का तांता लगा हुआ है।
उन्होंने कहा कि उन्हें मुबारकबाद देने के लिए भारत और विदेशों से फोन आते रहे हैं। बहुत से लोगों ने फूल और उपहार भेजे हैं। ईश्वर हमपर मेहरबान रहा है। हम हमेशा सभी के प्यार और शुाकामनाओं के लिए आभारी हैं।
उन्होंने कहा कि आज हम बहुत सा दान करते हैं। हम ऐसा हर रोज करते हैं लेकिन आज कुछ ज्यादा होता है। हम किसी भी अन्य दिन की तरह इबादत करते हैं। दिलीप कुमार के जन्मदिन का जश्न शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जाएगा, जिसमें सिर्फ परिवारवाले और कुछ दोस्त ही शिरकत करेंगे।
सायरा वैसे भी दिलीप कुमार का जन्मदिन धूमधाम से मनाने के पक्ष में नहीं है क्योंकि उन्हें लगता है कि जब भी उनका जन्मदिन मनाया जाता है तो वह बीमार पड़ जाते हैं। सायरा ने कहा कि मुझे लगता है कि उन्हें किसी की बुरी नजर लग जाती है क्योंकि जन्मदिन मनाते ही उनका स्वास्थ्य बिगड़ जाता है।
दिलीप कुमार ने 1944 में ‘ज्वार भाटा’ फिल्म से अभिनेता के रूप में अपने करियर की शुरूआत की थी जिसका निर्माण बॉबे टॉकीज ने किया था। दिलीप कुमार ने अपने छह दशक के अभिनय करियर में अलग अलग तरह की फिल्मों में अपने अभिनय का जादू बिखेरा।
उन्होंने रोमांटिक फिल्म ‘अंदाज’ 1949, रोमांच से भरपूर फिल्म आन 1952, नाटकीय फिल्म ‘देवदास’ 1955, हास्य फिल्म ‘आजाद’ 1955, ऐतिहासिक फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ 1960 और सामाजिक विषय पर आधारित फिल्म ‘गंगा जमुना’ 1961 में अपने अभिनय के अलग अलग रंग बिखेरे।
‘बॉलीवुड के ट्रेजडी किंग’ के नाम से प्रसिद्ध दिलीप कुमार ने ‘क्रांति’ 1981, ‘शक्ति’ 1982, ‘कर्मा’ 1986 और ‘सौदागर’ 1991 जैसी कई फिल्मों में काम किया। उनकी अंतिम फिल्म ‘किला’ 1998 है।
भारत सरकार ने भारतीय सिनेमा में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें 1991 में पद्माूषण, 1994 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और इस वर्ष पद्म ाूषण से नवाजा। पाकिस्तान सरकार ने भी उन्हें 1997 में अपने सर्वोच्च नागरिक समान निशान ए इतियाज से समानित किया ।