![फिल्म समीक्षा : ट्रैप्ड में रोंगटे खड़े कर देने वाले मूवमेंट फिल्म समीक्षा : ट्रैप्ड में रोंगटे खड़े कर देने वाले मूवमेंट](https://www.sabguru.com/wp-content/uploads/2017/03/trapped-movie-review.jpg)
![trapped movie review : when going gets tough rajkummar rao gets going](https://www.sabguru.com/wp-content/uploads/2017/03/trapped-movie-review.jpg)
जरा कल्पना कीजिए कि मुंबई जैसे महानगर में कोई इंसान किसी बिल्डिंग की 35वीं मंजिल पर बने एक फ्लैट में फंस जाए, जहां न पानी हो, न बिजली हो, न खाने के लिए कुछ हो और न बाहर निकलने का कोई रास्ता हो और न आपकी मदद करने वाला कोई हो, तो क्या होगा।
विक्रमादित्य मोटवानी की फिल्म ट्रैप्ड इसी सवाल से जूझने वाली एक फिल्म है, जिसमें एक नौजवान (राजकुमार राव) है, जो इस तरह की स्थिति में फंस जाता है और एक घंटे से ज्यादा की इस फिल्म में बाहर की दुनिया में लौटने की जद्दोजेहद करता रहता है।
इसके लिए उसे बहुत कुछ ऐसा करना पड़ता है, जो उसने जिंदगी में कभी नहीं किया था। भूख-प्यास से जूझने के लिए किसी भी हद तक जाने की ये कहानी रोंगटे खड़ कर देने वाले मूवमेंट से दर्शकों को बांधने में कामयाब रहती है और यही निर्देशक के तौर पर विक्रमादित्य मोटवानी की सबसे बड़ी सफलता है।
इस सफलता में राजकुमार राव की परफॉरमेंस सोने में सुहागा जैसा काम करती है, जिन्होंने अपने किरदार में खुद को समाहित कर दिया और किरदार से दर्शक खुद को जुड़ा महसूस करते हैं। इसे राजकुमार राव की अब तक की फिल्मों में बेहतरीन माना जाएगा और लंबे समय तक उनको इस फिल्म और परफॉरमेंस के लिए याद किया जाएगा।
ये फिल्म मोटवानी और राजकुमार राव के करियर के लिए मील का पत्थर बन गई है। इस फिल्म से ये धारणा भी मजबूत होती है कि इस दौर में छोटे बजट और कलाकारों के साथ एक बेहतरीन फिल्म बनाई जा सकती है।
सिनेमाटोग्राफी से लेकर एडीटिंग, बैकग्राउंड म्यूजिक और रोमांस का छोटा सा तड़का इस फिल्म को दिलचस्प बनाता है। फिल्म में कोई बड़ा नाम न होने के बाद भी जो कोई इस फिल्म को देखने जाएगा, उसे एक बेहतरीन फिल्म का एहसास होगा, यही इस फिल्म को दूसरी फिल्मों से अलग कर देती है।