जगदलपुर। हिन्दुओं की आराध्य देवी मां दुर्गा के बारे में आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम के सोशल मीडिया पर किए गए विवादित पोस्ट से बस्तर में बवाल मच गया है।
इसके विरोध में सोमवार को सुकमा जिला मुख्यालय समेत सभी कस्बे स्वस्फूर्त बंद रहे और लोगों ने कुंजाम की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया और पुतला फूंका।
उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले ही धर्मसेना व कांग्रेसी नेता सुशील मौर्य ने कुंजाम के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई है। 19 सितम्बर को इसके विरोध में सर्व समाज व धर्म सेना ने सुकमा जिला बंद का आहवान किया जिसे व्यापक जनसमर्थन मिला।
सुकमा जिला मुख्यालय समेत कोंटा, दोरनापाल, केरलापाल, तोंगपाल में व्यापारिक प्रतिष्ठान पूरी तरह से बंद थे। जगह-जगह कुंजाम के खिलाफ में विरोध प्रदर्शन हुआ।
संभागीय मुख्यालय में भी हिन्दू समाज ने इसके विरोध में प्रदर्शन कर कुंजाम का पुतला दहन करते हुए गिरफ्तारी की मांग की।
मनीष कुंजाम ने वाट्सअप ग्रुप में जो पोस्ट किया था, इसमें मां दुर्गा को वेश्या बताया गया है व महिषासुर को मूल निवासी (आदिवासी) बताया गया है।
नवरात्र मनाने और दुर्गा की मूर्ति में वेश्या के घर की मिट्टी को जरूरी होने के पीछे इसके वेश्या होने की कहानी बताई गई है।
पोस्ट के मुताबिक महिषासुर बंगाल के सावाताल अथवा संथाल में आदिवासियों का अत्यंत बलशाली राजा था। ब्राह्मण विदेशी थे जो इसके राज्य पर कब्जा करना चाहते थे। कई बार युद्ध में ब्राह्मणों को हार का मुंह देखना पड़ा। ब्राह्मणों ने सुरा सुंदरी वाले शैतानी नीति को अपनाया।
दुर्गा जो कि एक अत्यंत सुंदर वैश्या थी को उसे षडय़ंत्र के तहत महिषासुर को अपने मायाजाल में फांसकर हत्या करने के लिए भेजा गया। दुर्गा ने आठ रात सुरा पिलाते हुए, कई नाटक करते हुए महिषासुर के साथ बिताई।
नौवें रात को मौका मिलते ही इस वैश्या ने महिषासुर की हत्या कर दी, इसीलिए दुर्गा की नवरात्रि मनाई जाती है। चूंकि दुर्गा वैश्या थी, इसीलिए वैश्या के घर से मिट्टी लाने का रिवाज आज भी है।
मूल निवासी राजा महिषासुर की हत्या दुर्गा ने की, जिससे ब्राह्मण उस राज्य पर कब्जा करने में कामयाब हुए। इसलिए ब्राह्मणों ने मूल निवासियों से उनके पूर्वजों की हत्यारिनी दुर्गा की पूजा ही करवा डाली।