नई दिल्ली। माकपा ने भी तीन तलाक और बहुविवाह प्रथा का विरोध करते हुए इन्हें खत्म करने की मांग की है।
पार्टी पोलितब्यूरो ने एक बयान जारी कर कहा हैं कि इस तरह की प्रथा की अनुमति अधिकतर मुस्लिम देशों में नहीं है और इन्हें ख़त्म करने की मांग को स्वीकार करने से पीड़ित महिलाओं को काफी राहत मिलेगी।
वाम दल ने कहा कि सभी पर्सनल लॉ जो बहुसंख्यक समुदाय पर भी लागू होते हैं, उनमें सुधार की ज़रूरत है। केंद्र की समान नागरिक संहिता लागू करने की बात पर पार्टी ने कहा कि एकरूपता समानता की गारंटी नहीं है।
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड केंद्र के हलफनामे का विरोध कर रहा है। केंद्र का कहना है कि मुस्लिम समुदाय में तीन बार तलाक की प्रथा, निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथा पर लैंगिक समानता और धर्म निरपेक्षता को ध्यान में रखते हुए फिर से विचार किए जाने की जरूरत है।
बोर्ड के साथ ही अन्य मुस्लिम संगठनों ने कहा है कि वे इस मसले में विधि आयोग की कार्रवाई का बहिष्कार करेंगे। उनका कहना है कि समान नागरिक संहिता भारत के बहुलतावाद को खत्म कर देगी।
यह विवाद तब पैदा हुआ जब विधि आयोग ने हाल ही में तीन बार तलाक के मुद्दे पर जनता की राय मांगी थी और पूछा था कि क्या इस प्रथा को खत्म कर देना चाहिए और क्या समान नागरिक संहिता को वैकल्पिक बनाया जाना चाहिए।
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सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने भी तीन तलाक की प्रथा को खत्म करने की मांग की है। भारत के संवैधानिक इतिहास में केंद्र सरकार ने पहली बार 7 अक्तूबर को उच्चतम न्यायालय में तीन बार तलाक, निकाह हलाल और बहुविवाह प्रथा का विरोध किया है।
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