नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक प्रथा की संवैधानिक वैधता पर केंद्र सरकार और आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को नोटिस जारी करके उनसे इस मामले में अपना पक्ष रखने को कहा है।
पश्चिम बंगाल के हावड़ा की इशरत जहां की तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को तीन तलाक से जुड़ी दूसरी और याचिकाओं के साथ जोड़ा दिया।
इशरत जहां ने अपनी याचिका में कहा है कि उसके पति ने उसे दुबई से ही फोन पर तलाक दे दिया और चारों बच्चों को जबरन छीन लिया। इसके बाद उसके पति ने दूसरी शादी कर ली। फिलहाल वह अपनी ससुराल में ही रह रही है जहां उसकी जान को खतरा है।
याचिका में बच्चों को वापस दिलाने और उसे सुरक्षा दिलाने की मांग की गई है। इसके साथ ही याचिका में इशरत ने अदालत से मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरियत) ऐप्लिकेशन ऐक्ट, 1937 के सेक्शन 2 असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है।
याचिका में तीन तलाक को गैरकानूनी बताते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरियत) ऐप्लिकेशन ऐक्ट, 1937 के सेक्शन 2 असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट पहले ही नैनीताल की शायरा बानो, जयपुर की आफरीन समेत कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है और मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को नोटिस जारी कर चुका है। बोर्ड ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए।