नई दिल्ली। दिल्ली के 21 संसदीय सचिव मामले में चुनाव आयोग ने अपनी सक्रियता दिखाते हुए दिल्ली सरकार से 11 सवाल पूछे हैं। अब आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता चुनाव आयोग द्वारा पूछे गए इन सवालों के जवाब के बाद लिए गए फैसले पर टिकी है।
इससे पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने केजरीवाल सरकार के संसदीय सचिव विधेयक को लौटा दिया था इसके बाद से दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता खतरे में है। दिल्ली सरकार ने इन विधायकों को संसदीय सचिव का पद दे रखा था, जो ‘लाभ का पद है’।
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार में नियुक्त हुए 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति मामले में चुनाव आयोग ने दिल्ली के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पूछा है कि किन नियमों के तहत इनकी नियुक्ति हुई है, संसदीय सचिवों की नियुक्ति पत्र की कॉपी दी जाए।
क्या इन्हें आफिस स्पेस दिया गया था? क्या इन्हें कैंप आफिस के लिए कोई जगह दी गई थी? क्या इन्हें कोई फोन की सुविधा दी गई थी? क्या इन्हें कोई सैलरी ऑफर की गई थी? क्या इन्हें कोई ट्रांसपोर्ट की सुविधा दी गई? क्या इन्हें कोई घर दिया गया था? कितने सहयोगी स्टाफ दिए गए थे, उन्हें किस तरह का काम दिया गया था? हरेक संसदीय सचिव का क्या काम था?
आम आदमी पार्टी के 21 विधायक मार्च 2015 में केजरीवाल सरकार में संसदीय सचिव बनाए गए थे जिनपर लाभ के पद पर होने के आरोप में चुनाव आयोग में मामला चल रहा है, जिसमे 14 जुलाई से सुनवाई शुरू होगी।