वाशिंगटन। पेरिस जलवायु समझौते से पीछे हटने के अपने कदम को न्यायोचित ठहराते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत व चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि समझौते से दोनों देशों को सर्वाधिक फायदा हुआ है, जबकि अमरीका के साथ नाइंसाफी हुई।
व्हाइट हाउस के रोज गार्डन से गुरुवार को दिए गए एक भाषण में ट्रंप ने कहा कि पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए नई दिल्ली को अरबों डॉलर मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि आने वाले वक्त में चीन के साथ-साथ भारत अपने कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों की संख्या दोगुनी कर लेंगे, जिससे उन्हें वित्तीय तौर पर अमेरिका की तुलना में लाभ होगा।
ट्रंप ने कहा कि भारत ने विकसित देशों से अरबों डॉलर की विदेशी सहायता प्राप्त करने के लिए समझौते में भागीदारी की है। कई अन्य उदाहरण हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि पेरिस समझौता अमेरिका के लिए अन्यायपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि यह फैसला उन्होंने अमरीकी कारोबारियों तथा मजदूरों के हित के संरक्षण के लिए किया। उन्होंने कहा कि समझौते का पालन करने से साल 2025 तक 27 लाख नौकरियां जाएंगी। मुझपर विश्वास कीजिए, यह वह नहीं है, जिसकी हमें जरूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि मेरा निर्वाचन पिट्सबर्ग का प्रतिनिधित्व करने के लिए हुआ है, पेरिस के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि आज की तारीख से ही अमरीका पेरिस समझौते के सभी तरह के क्रियान्वयन को रोक देगा, जो एक कठोर वित्तीय व आर्थिक बोझ है, जिसे समझौते के रूप में अमरीका पर थोपा गया है।