Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
trump, terror and brexit : biggest stories of 2016, the year the world was rocked by tragedy
Home World Europe/America साल 2016 : दुनिया के सिरमौर बने डोलाल्ड ट्रंप

साल 2016 : दुनिया के सिरमौर बने डोलाल्ड ट्रंप

0
साल 2016 : दुनिया के सिरमौर बने डोलाल्ड ट्रंप
trump, terror and brexit : biggest stories of 2016, the year the world was rocked by tragedy
trump, terror and brexit : biggest stories of 2016, the year the world was rocked by tragedy
trump, terror and brexit : biggest stories of 2016, the year the world was rocked by tragedy

नई दिल्ली। हर साल के खत्म होते-होते जब हम उसके बही-खाते को तैयार कर रहे होते हैं तो अच्छी और बुरी, दोनों तरह की घटनाएं ताजा हो उठती हैं। इस मायने में वर्ष 2016 भी कुछ अलग नहीं।

इस दौरान दुनिया ने राजनीतिक परिदृश्य का रुख बदलने वाले संकेतक भी देखे और आतंकवाद के दंश झेलते हुए इसकी लगाम कसने की इच्छाशक्ति भी दिखाई। वहीं विज्ञान ने मानव अस्तित्व के लिए जरूरी स्वच्छ ईंधन की दिशा में अहम कामयाबी भी पाई।

डोनाल्ड ट्रंप का अमरीका का राष्ट्रपति बनना

अमरीका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का जीतना इस साल की सबसे महत्वपूर्ण घटना है। तमाम विश्लेषणों में डेमोक्रेट उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को आगे बताया जा रहा था और अमरीकी जनमानस ने भी मानो यह मान लिया था कि अंततः बाजी हिलेरी के हाथ आएगी।

लोकप्रिय वोटों में हिलेरी आगे भी रहीं, लेकिन इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों में ट्रंप ने बाजी मार ली। वैसे, इस बार का अमेरिका चुनाव अलग-अलग वजहों से चर्चा में रहा। बड़बोले ट्रंप कभी महिलाओं के बारे में कुछ बोल जाते तो कभी मुसलमानों के बारे में तल्ख बयान दे जाते। सबसे गरमागरम मामला तो रहा हिलेरी के चंद मेल के लीक होने का।

इस तरह की अटकलें थीं कि इन ईमेल को लीक कराने में रूस का हाथ था जो डोनाल्ड ट्रंप को मदद करना चाहता था। आम लोग ट्रंप के जीतने से किस हद तक हैरान थे इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव के नतीजे आने के बाद कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए और हिंसा की छिटपुट घटनाएं भी हुईं।

यूरोपीय संघ से ब्रिटेन ने नाता तोड़ा

जिस समय यूरोपीय संघ का गठन हुआ, यह विशव पटल पर एक ताजा हवा के झोंके जैसा था। लेकिन वर्ष 2016 में 28 देशों के इस गठबंधन से ब्रिटेन ने खुद को अलग कर लिया। 23 जून को जनमत संग्रह हुआ जिसमें 52 फीसदी लोगों ने यूरोपीय संघ से अलग होने के पक्ष में वोट दिए। ब्रिटेन के इस फैसले के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को आखिरकार पद से हटना पड़ा। बहरहाल, ब्रिटेन के अलग होने का तात्कालिक असर यूरोपीय संघ के आंतरिक समीकरोणों के अलावा विश्व राजनीतिक परिदृष्य पर पड़ना लाजिमी है।

आतंकवाद ने डराया

आतंकवादी हमलों के लिहाज से यह साल भी सुर्खियों में रहा। दुनिया भर के लिए आतंकवाद का पर्याय बन चुके अलकायदा की जगह ली एक और खूंखार आतंकवादी संगठन आईएसआईएस ने। इस्लाम की अधकचरी व्याख्या की बुनियाद पर इंसानी लाशों की ईंटों पर दुनियाभर में इस्लाम का शासन कायम करने निकले आईएसआईएस ने वर्ष 2016 में अपने उत्थान और पतन, दोनों का अनुभव किया।

आईएसआईएस मध्य-पूर्व से निकलकर यूरोप तक अपना खूनी पंजा फैलाने में कामयाब रहा। उसने 23 मार्च 2016 को बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स पर हमला कर 30 लोगों को मार डाला। इसके साथ ही तुर्की के इस्तांबुल के हवाई अड्‍डे पर 28 जून 2016 को इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने आत्मघाती हमला किया जिसमें 42 लोगों की मौत हो गई।

जून में इस्लामिक स्टेट से जुड़े होने का दावा करने वाले एक अमरीकी ने फ्लोरिडा के ऑरलैंडो के एक नाइट क्लब में अंधाधुध गोलियां बरसाकर 49 लोगों को मार डाला। नवम्बर में इस्लामी आतंकवादी हमलों का दंश दुनिया के सर्वाधिक प्रगतिशील समाजों में से एक पेरिस के साथ-साथ इसके उपनगर सेंट डेनिस को झेलना पड़ा। इस हमले में 129 लोगों की मौत हो गई और दुनिया सन्न रह गई। लेकिन आतंकवाद के लिहाज से 2016 बड़ा सकारात्मक प्रभाव वाला भी रहा।

इस साल का अंत आते-आते अमरीका, ब्रिटेन, रूस समेत तमाम देशों की गठबंधन सेना ने इस्लामिक स्टेट को सीरिया के छोटे से भू-भाग में समेट दिया और उनका नेता अबु बकर जान बचाने को मारा-मारा फिर रहा है।

खतरनाक उत्तर कोरिया

क्रूरता के तमाम दिल दहला देने वाले किस्सों के सूत्रधार तानाशाह किम जोंग ने इस साल की शुरुआत में ही हाईड्रोजन बम के परीक्षण की घोषणा कर दुनियाभर में दहशत फैला दी। मीटिंग में आंख लग जाने के कारण अपने रक्षा मंत्री को तोप से उड़वा देने जैसे तमाम दरिंदगी के लिए कुख्यात इस सनकी नेता के हाथों व्यापक जनसंहार के हथियार निश्चित तौर पर पूरी दुनिया के लिए खतरा है।

कोलंबिया में विमान हादसे में फुटबॉल खिलाड़ियों की मौत

साल के अंत में कोलंबिया में एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें 76 लोगों की मौत हो गई। विमान में ब्राजील के फुटबॉल क्लब चापेकोंसे की टीम के खिलाड़ी, कोच के अलावा कवरेज के लिए जा रहे पत्रकार भी सवार थे जो असमय ही काल के गाल में समा गए। इस हादसे में आश्चर्यजनक रूप से पांच लोग बच गए जिनमें तीन फुचबॉलर थे।

जानी-मानी हस्तियों का जानाः यूं तो हर साल ही दुनिया अपनी लोकप्रिय हस्तियों का विछोह सहती है, लेकिन यह साल इस लिहाज से खासा बुरा रहा। संगीतकार डेविड बॉवी, प्रिंस और जॉर्ज माइकल स लेकर खेल जगत के महान मोहम्मद अली और लेखक हार्पर ली को दुनिया ने आंखें बंद करते हुए देखा। इन सभी लोगों ने अपने-अपने तरीके से दुनिया को दिशा दी और जनमानस में अपनी जगह बनाई।

क्यूबा के महान कम्युनिस्ट नेता फिदेल कास्त्रो का भी इसी साल निधन हुआ। दशकों तक अमेरिका विरोध का चेहरा बने कास्त्रो को चाहने वाले लोगों की भी कमी नहीं थी।

ताजा हवा के झोंके सी सुर्खिया

तमाम घटनाओं के बीच बीते साल हमने कई ऐसी घटनाओं को देखा जो कभी सुर्खियां बनीं, तो कभी खबरों की गहमागहमी में उतनी प्रमुखता नहीं पा सकीं। लेकिन ये ऐसी घटनाएं रहीं जो सकारात्मकता से भरी रहीं और जिन्होंने एक बेहतर कल का आश्वासन दिया।

जानलेवा इबोला पर जीत

साल के जाते-जाते खतरनाक जानलेवा इबोला वायरस का इलाज खोज लिया गया। गिनी में इस दवा का परीक्षण किया गया जिसमें यह सौ फीसदी कारगर साबित हुई। एक समय गिनी, लाइबेरिया और सियेरालोन में ही हजारों लोग देखते-देखते काल के गाल में समा गए थे और इसने दुनिया में दहशत फैला दी थी।

ईंधन-हीन दुनिया की ओरः विकास के लिए सबसे जरूरी है ईंधन। लेकिन इसी ईंधन के कई साधनों ने दुनिया को बताया कि सतत विकास के लिए वैसे ईंधन जरूरी हैं जो प्रकृति को नुकसान न पहुंचाएं। इस दिशा में सोलर इम्पल्स मिशन का एक बेहतरीन मिसाल थी। बैट्रांड पिकार्ड और उनके साथी आंद्रे बेर्शबर्ग ने मिलकर सोलर प्लेन पर सवार होकर दुनिया की सैर की।

40 हजार किलोमीटर की उनकी यात्रा दुनिया को यह बताने के लिए काफी रही कि अगर आप सोचें, तो रास्ता जरूर निकल सकता है। जर्मनी में हरित ऊर्जा का प्रयोगः जर्मनी में इस साल मई में ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश के लिहाज से एक शानदार प्रयोग हुआ। वहां सूरज की रोशनी और हवा के मिश्रण से इतनी बिजली पैदा हुई जो पूरी जर्मनी के ग्रिडों के लिए काफी थी। स्वच्छ ऊर्जा के लिहाज से यह शानदार कामयाबी रही।