चेन्नई। तमिलनाडु की राजनीति में एक नए घटनाक्रम में एआईएडीएमके के एक विधायक ने दिनाकरन गुट से किनारा कर लिया और गुरुवार को मुख्यमंत्री के गुट में शामिल हो गए। जबकि, दिनाकरन गुट के राज्यपाल से मिलने जाने के दौरान तीन विधायक उनके साथ उनके समूह में शामिल हो गए और इन्होंने राज्यपाल सी. विद्यासागर राव से मिलकर सदन में तुरंत बहुमत परीक्षण कराने की मांग की।
चुंबम से विधायक एसटीके जक्कियन ने दिनाकरन गुट को छोड़ दिया और विधानसभा अध्यक्ष धनपाल से मुलाकात की और उनसे कहा कि वह मुख्यमंत्री ई. पलनीस्वामी का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि वह नहीं चाहते कि एआईएडीएमके की आंतरिक समस्याओं का डीएमके फायदा उठाए और सरकार को नुकसान पहुंचे।
दिनाकरन गुट के 19 विधायकों में से जक्कियन भी एक थे, जो एक पखवाड़े पहले राज्यपाल से मिले थे और एक ज्ञापन दिया था कि वे मुख्यमंत्री में अपना विश्वास खो चुके हैं। जक्कियन कारण बताओ नोटिस के जवाब में गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष के सामने पेश हुए थे। विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी कार्रवाई के लिए दल-बदल विरोधी कानून के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
जक्कियन ने संवाददाताओं के समक्ष कबूल किया कि वह कुछ समय पहले पार्टी की आंतरिक उठापटक की वजह से दिनाकरन के साथ थे और राज्यपाल के पास गए थे। उन्होंने कहा कि लेकिन, अब एआईएडीएमके की पारिवारिक समस्याओं का फायदा उठाकर डीएमके सरकार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में जुटी है। हमें बहुमत के साथ रहना होगा। इससे डीएमके को फायदा नहीं होगा। हमें अपनी अंदर की समस्याएं सुलझानी होंगी।
दूसरी तरफ दिनाकरन गुट को एक बढ़त हासिल हुई जब तीन विधायक, जो एआईएडीएमके के टिकट पर चुनाव जीते थे और अब तक तटस्थ थे, दिनाकरन के राज्यपाल से मिलने जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल हो गए। दिनाकरन के साथ जाने वाले तीनों विधायक करुनास, कलईसेलवन व राथिनासाभपति थे। सात सासंद भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।
दिनाकरन ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने राज्यपाल से कहा है कि मुख्यमंत्री ने बहुमत खो दिया है, जिसे यह तथ्य साबित करता है कि उनके पास बहुमत के लिए जरूरी 117 विधायकों का समर्थन नहीं है। पलनीस्वामी के द्वारा दो दिन पहली बुलाई गई बैठक में इन विधायकों ने भाग नहीं लिया।
दिनाकरन ने कहा कि मौजूदा हालात में राज्यपाल को मुख्यमंत्री से विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहना चाहिए, अन्यथा खरीद फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने उनसे कहा कि वह घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं और जल्द ही वह एक सही फैसला लेंगे।
यह पूछे जाने पर कि राज्यपाल ने कुछ दिनों पहले विपक्ष के प्रतिनिधिमंडल से मिलने के बाद कहा था कि गेंद उनके पाले में नहीं है क्योंकि यह एआईएडीएमके का आंतरिक मामला है, इस पर दिनाकरन ने कहा कि अब राज्यपाल ने अपना रुख बदल लिया है। दिनाकरन ने कहा कि राज्यपाल ने कहा कि यह एक आंतरिक मामला नहीं है। मैं जल्द ही एक अच्छा निर्णय लूंगा। मैं अपना कर्तव्य निभाऊंगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या राज्यपाल ने कोई समय सीमा दी है, दिनाकरन ने कहा कि राज्यपाल ने उनसे वादा किया है कि वह जल्द एक फैसला लेंगे, लेकिन उन्होंने कहा कि इस पर उनके लिए आगे टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।
यह पूछे जाने पर कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के समर्थन से पलनीस्वामी व पन्नीरसेल्वम संयुक्त रूप से सरकार चला रहे हैं, दिनाकरन ने कहा कि वह भाजपा पर बिना पुष्टि के टिप्पणी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि जब हमारे अपने लोग घोखेबाज निकले, तो हम दूसरों को दोष नहीं दे सकते।
जक्कियन के उनके गुट से जाने पर दिनाकरन ने कहा कि उन्होंने पहले से सोच रखा था क्योंकि वह मुझसे मुख्यालय के सचिव व मंत्री पद के बारे में पूछ रहे थे। उन्होंने कहा कि जक्कियन ने उनसे बुधवार रात को कहा कि उन्हें धमकी भरी कॉल आ रहीं हैं और मंत्री पद का प्रलोभन मिल रहा है।
दिनाकरन ने दावा किया कि मौजूदा एआईएडीएमके सरकार को लेकर लोगों में नफरत है और इसका साक्ष्य नीट को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन में दिखाई दे रहा है। मेडिकल में दाखिला की आकांक्षा रखने वाली अनीता की बीते हफ्ते आत्महत्या के बाद लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।
तमिलनाडु की 233 सदस्यों की विधानसभा में सरकार के खिलाफ अब विधायकों की संख्या 119 है। इसमें डीएमके के 89 व उसके सहयोगियों कांग्रेस व मुस्लिम लीग की संख्या 9 है। इसके साथ ही दिनाकरन गुट अपने पास 21 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है।