सबगुरु न्यूज उदयपुर। बहुचर्चित तुलसी एनकांउटर मामले में मुम्बई जिला न्यायालय ने दूसरे दिन मंगलवार को सुनवाई करते हुए आरोपी सीआई अब्दुल रहमान के आवेदन को खारिज कर दिया। जबकि, एक दिन पूर्व ही सोमवार को हैड कांस्टेबल दलपतसिंह को रिहा कर दिया था।
अब तक इस मामले में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, उद्यमी विमल पाटनी, गुजरात के राजकुमार पाण्डेर रिहा हो चुके हैं। अन्य आरोपियों की तरह सीआई रहमान ने भी धारा 197 में मामले से डिस्चार्ज करने का आवेदन पेश किया था।
इस मामले में एसओजी आईजी दिनेश एमएन सहित राजस्थान के पांच जनों के विरुद्ध अभी निर्णय बाकी है। सोहराबुद्दीन का राइट हैण्ड माने जाने वाले तुलसी उर्फ प्रफुल्ल प्रजापति का वर्ष 2007 में अहमदाबाद पेशी पर ले जाते समय एनकाउंटर हो गया था। इसका कारण शार्प शूटर तुलसी को उसके साथी द्वारा फायर कर भगा ले जाने से रोकना बताया गया था।
सूत्रों के अनुसार मामले में सीबीआई ने उदयपुर के तत्कालीन एसपी दिनेश एमएन, सीआई अब्दुल रहमान, एएसआई नारायणसिंह, कांस्टेबल युद्धवीर, करतारसिंह व गुजरात के कुछ अधिकारियों को आरोपित बनाते हुए उनके विरुद्ध न्यायालय में आरोप-पत्र पेश किया था। काफी समय न्यायिक अभिरक्षा में बिताने के बाद सभी जमानत पर रिहा हुए थे। मामले में मुंबई जिला न्यायालय में लगातार सुनवाई चल रही थी। मामले में दलपतसिंह ने आरोपों को नकारते हुए फायरिंग के दौरान मौके पर मौजूद नहीं होना बताया। न्यायालय ने सुनवाई के बाद उसे रिहा कर दिया।
तुलसी का केस पर भी सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से जुड़ा होने के कारण दोनों की सुनवाई एक साथ हो रही है। तुलसी-सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में अब 31 जुलाई को एसआई श्यामसिंह, हिमांशु राव तथा 1 अगस्त को दिनेश एमएन पर सुनवाई होगी। इस एनकाउंटर में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, उद्यमी विमल पाटनी, गुजरात के राजकुमार पाण्डेर रिहा हो चुके हैं।
अपराध जगत में शॉर्प शूटर था तुलसी
शॉर्प शूटर प्रफुल्ल उर्फ तुलसी गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान व मध्यप्रदेश के चार राज्यों का मोस्ट वांटेड अपराधी था। 24 वर्ष की उम्र में से दस वर्ष अपराध जगत में गुजारे। दस सालों में उसके खिलाफ चार हत्या व लूट, नकबजनी व फिरौती के बीस मामले दर्ज हुए।
वर्ष 1997 में मध्यप्रदेश पुलिस ने उसे पहली बार राजू नामक युवक के साथ चोरी व नकबजनी में पकड़ा था। उसके बाद 1999 तक नकबजनी की वारदातों में वह अन्दर-बाहर होता रहा। इस अवधि में उसकी मध्यप्रदेश के भैरूगढ़ जेल में छोटे दाऊद के साथी सोहराबुद्दीन से मुलाकात हुई। बाद में तुलसी आतंक का दामन थामते हुए सोहराब के इशारे पर बड़े-बड़े राजनेताओं, बिल्डरों व व्यवसायियों की सुपारी लेने लगा।