जयपुर। स्वदेशी जागरण मंच ने देश में विदेशी पूँजी निवेश को देश के लिए घातक बताया है। देश में कृषि, व्यापार, वाणिज्यिक, बीमा, रक्षा तथा सेवा क्षेत्रों में बढ़ रहे एफडीआई व विदेश अधिग्रहण को खतरा बताया है। इस खतरे से बचाव के लिए देश में सांस्कृतिक, तकनीकी और आर्थिक राष्ट्रवाद की जरूरत बताई है। मंच की ओर से विदेशी उत्पादों को जीवन से दूर करने और सांस्कृतिक व आर्थिक राष्ट्रवाद को मजबूत करने का संकल्प लिया गया।…
इंदिरा गांधी पचायतीराज संस्थान में शनिवार को स्वदेशी जागरण मंच की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन पर वक्ताओं ने बीमा, रक्षा आदि क्षेत्रों एफडीआई का विरोध किया। मंच के दिल्ली से आए कार्यकर्ता प्रदीप शर्मा ने कहा कि पिछले कुछ समय से पश्चिम अर्थशास्त्र, हमारे सनातन अर्थशास्त्र को चुनौती दे रहा है। पश्चिम अर्थशास्त्र, अपूर्ण व एकांगी व समग्र नहीं है। हर कोई पश्चिमी अर्थशास्त्र के सामने नतमस्तक होता जा रहा है। यह चुनौती का अवसर है हम सबके लिए। हम सबको एकजुट होकर इसका सामना करना होगा। भारतीय कृषक नेता कृष्णा वीर चैधरी ने कहा कि उदारीकरण के नाम पर खेल खेला जा रहा है। यह खेल अन्तर्राष्ट्रीय ताकतों का है। सबसे बड़ा खतरा बीज और पर्यावरण पर है। हम विकास विरोधी नहीं है, लेकिन उद्योग गैर कृषि भूमि पर लगने चाहिए।
स्वदेशी जागरण मंत्र के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक सबसे पहले मंगल पर पहुंचने का करिश्मा करते है और सबसे ज्यादा खुशी तो सब होती है जब वायुयान में एक भी पेच बाहर का नहीं लगना बताते है। वही दूसरी ओर एक मंत्री डिफेंस में एफआईडी बढ़ाने की बात कहते है। हिन्दुस्तान के एक प्रतिनिधि डब्ल्यूटीओ में गए, लेकिन किसानों का हित नहीं छोड़ा, भले ही विश्व को तिलांजलि दे दी। सरकार बोल रही है कि चीनी पटाखों के आयात के लिए एक भी लाइसेंस नहीं दिया, लेकिन सारा बाजार चीनी पटाखों से भरा पड़ा है। एक तरफ डब्ल्यूटीओ में किसानों के हित में लड़ाई करते है, दूसरी तरफ सीमा से चीनी सामान कैसे आ रहा है। चाहे चावल हो या आलू हमारा किसान उन्नत किस्में पैदा कर रहा है, वहीं कृषि में विदेशी बीजों को छूट दी जा रही है।
कार्यक्रम के राष्ट्रीय संयोजक भगवती प्रकाश ने कहा कि देश में वाणिज्य, व्यापार, उद्योग, सेवा व कृषि पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का शिकंजा बढ़ता जा रहा है। देश में आईसक्रीम जूते की पाॅलिश से लेकर इलेक्ट्राॅनिक आइटम से लेकर पावर प्लांट तक पर बहुराष्ट्रीय कंपनियां काबिज है। इतना ही नहीं खेत खलिहान से लेकर किचन तक बहुराष्ट्रीय कंपनियों का वर्चस्व होता जा रहा है। अमेरिका, आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड आदि में प्रतिबंध के बावजूद देश में जीएम क्राॅप्स का ट्राॅयल किया जा रहा है। जीएम क्राॅप्स के दुष्परिणाम आ चुके है। चीनी उत्पादों के कारण देश में 17 हजार छोटे-बड़े उद्योग बंद हो गए है। देश का बीमा व रक्षा, रेलवे व ऊर्जा क्षेत्र विदेशी नियंत्रण में जा रहा है। व्यापार, कृषि, उद्योग आदि पर विदेशी अधिग्रहण बढ़ता जा रहा है। सांस्कृतिक आक्रमण बढ़ रहा है। पूरी तरह कब्जे का षड्यंत्र चल रहा है। इसे बचाने की आवश्यकता है।
अखिल भारतीय व्यापारिक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद श्याम बिहारी मिश्रा ने कहा कि हमारी कमाई का अधिकांश भाग विदेशों में जा रहा है। एक जमाना था जब हमारे देश की बनारसी साड़ी व ढाका की मलमल प्रसिद्ध थी, लेकिन आज कोई नहीं पूछ रहा है। हम विदेशी पूंजी पर आश्रित होते जा रहे है। विदेशी कंमपनी हावी होती जा रही है, गरीबी बढ़ती जा रही है। हमारा देश पहले भी सोने की चिडि़या था, आज भी है, लेकिन सत्ता में बैठे लोग नहीं समझ रहे हैं। इस अवसर पर नर्बदा इंदोरिया की पुस्तक स्वदेशी संदेश का भी विमोचन किया गया।
देश की प्रगति के लिए गांव की तरक्की जरूरत
राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने कहा है कि देश की प्रगति के लिए गांव की तरक्की की जरूरत हैं। सिंह शनिवार को रविन्द्र मंच पर राष्ट्रीय संगम सार्वजनिक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
समारोह में कृषि मंत्री प्रभु लाल सैनी भी मौजूद थे। इस अवसर पर सिंह ने कहा कि खेती हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। पैदावार बढ़ने से किसान की तरक्की होगा। उन्होंने कहा कि खेती से कच्चा माल पैदा होता है, जिससे उद्योग धन्धे चलते है जिससे रोजगार मिलता है जो पूंजी का निर्माण करता है।
राज्यपाल ने कहा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी है जिसे स्थानीय संसाधनों से चलने वाले छोटे छोटे उद्योग धन्धों से दूर किया जा सकता है। सिंह ने कहा कि देश को गरीबी से मुक्त करने के लिए बेरोजगारी दूर करने की जरूरत हैं। उन्होंने कहा कि रोजगार से हाथ को काम मिलेगा, जिससे जेब में दाम आएगा और उससे आंगन में खुशहाली होगी। उन्होंने कहा कि स्वदेशी की ललक पैदा करने की आवश्यकता है।