नई दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को कहा कि नोटबंदी के बाद दो लाख संदिग्ध कंपनियों ने खाते का संचालन कर 4,550 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जमा कराई और निकाली है। यह जानकारी 13 बैंकों से मिली है। सरकार ने इसे कालेधन के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता बताया है।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में शुक्रवार को कहा गया है कि इस वर्ष की शुरुआत में कंपनियों के रजिस्टर में दर्ज 209,323 संदिग्ध कंपनियों पर रोक लगा दी गई थी और उनके बैंक खातों का संचालन केवल उनकी देनदारियां पूरी करने के लिए सीमित कर दिया गया था।
बयान में कहा गया है कि पिछले साल नोटबंदी की घोषणा के एक दिन बाद नौ नवंबर को जब तक उनपर रोक नहीं लगाई गई थी, तब तक इन कंपनियों ने अपने खाते में 4,573.87 करोड़ रुपए की बड़ी राशि जमा करा दी थी और उसी के समान 4,552 करोड़ रुपए की रकम वापस भी निकाल ली थी। ऋण खातों के साथ ही 80.79 करोड़ रुपए का नकारात्मक ओपनिंग बैलेंस था।
बयान में कहा गया है कि उसके बाद खातों को फिर से शेष राशि के साथ निष्क्रिय खातों के रूप में छोड़ दिया गया था। जैसा कि पहले बताया गया है, नोटबंदी के बाद से लेकर जब तक कंपनियों को भंग नहीं कर दिया गया, तब तक कंपनियां प्राधिकारियों को धन प्रेषित करती रहीं। कुछ मामलों में, कुछ कंपनियां अधिक साहसी हो गई हैं और बंद होने के बाद भी जमा और निकासी करती रहीं।
इसी तरह, एक अन्य बैंक के मामले में 3,000 से अधिक कंपनियों के पास एक से अधिक खाते थे। आठ नवंबर, 2016 तक इनके पास करीब 13 करोड़ रुपए की राशि जमा थी। नोटबंदी की घोषणा के बाद इन कंपनियों ने करीब 3,800 करोड़ रुपए जमा किए और वापस निकाल लिए। खातों को सीज करते वक्त इनमें लगभग 200 करोड़ रुपए का एक नकारात्मक संचयी शेष बना हुआ था।
बयान में कहा गया है कि इसपर गौर करने की जरूरत है कि यह आंकड़ा सरकार द्वारा बंद की गई संदिग्ध कंपनियों की कुल संख्या का लगभग 2.5 प्रतिशत है। इन कंपनियों द्वारा किया गया पैसों का यह लेनदेन शायद भ्रष्टाचार के हिमालय की एक चोटी हो सकती है।
बयान में कहा गया है कि इन 13 बैंकों ने आंकड़ों की अपनी पहली किस्त जमा करा दी है। उनके द्वारा प्राप्त आंकड़े केवल लगभग 5,800 कंपनियों (बंद की गई दो लाख से अधिक कंपनियों में से) से संबंधित हैं, जिनमें 13,140 खाते शामिल हैं।
नोटबंदी से पहले के इन कंपनियों के खातों के बैलेंस और नोटबंदी के दौरान उनके खातों से किए गए लेनदेन से संबंधित यह आंकड़ा अधिक चौंकाने वाला है।
इन कंपनियों ने ऋण खातों को अलग करने के बाद आठ नवंबर, 2016 को इन कंपनियों के खातों में मात्र 22.05 करोड़ रुपए जमा थे।