माता रानी का दिया हुआ सब कुछ है।
बस एक जोडे जूते की कमी थी वो भी आज मंदिर से पहन के आ गया।
जय माता दी!
कब्रिस्तान के आगे दो व्यक्ति बात कर रहे थे:
“कितने आराम से सो रहे हे ये लोग”
उतने में एक मुर्दा खडा हो गया और बोला:
क्यों नहीं सोएंगे, जान दे के जगह ली है!
कहाँ गए वो समाज सेवक, कहाँ गए वो दानशूर व्यक्ति?
जो ठंड मे कपडे, स्वेटर, कंबल बांटते हैं और अब इस मरण यातना वाली गर्मी में ठंडी ठंडी बियर बाँटना, यह उनका कर्तव्य नहीं है क्या? आप नहीं पीते तो क्या, परोपकार भी कोई चीज़ है या नहीं।
एकलव्य आज जिंदा होता तो द्रोणचार्य को कोस रहा होता,
बिना अंगूठे के ना तो उसका आधार कार्ड बनता और ना जियो की सिम मिलती।
पप्पू की शादी हो गई और उनका वैवाहीक जीवन शुरु हो गया। एक बार पप्पू ने अपनी पत्नि से पूछा,
“तुमने मुझमें ऐसा क्या देखा कि तुम शादी के लिए तैयार हो गई?”
पप्पू की पत्नी बोली, “मैंने एक-दो बार आपको बर्तन मांजते हुए देखा था।”
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