सूरत। गुजरात के बहुचर्चित अमी शाह हत्या मामले में आरोपित दोनों ननदों को सोमवार को अतिरिक्त सेशन जज आर.ए.त्रिवेदी ने हत्या और अपहरण के आरोप में दोषी करार देते हुए कठोर आजीवन कारावास और दस-दस हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।
गोपीपुरा काजीनु मैदान स्थित सिद्घार्थ अपार्टमेंट निवासी बीना भूपेन्द्र शाह और अडाजण पाल रोड की संगम टाउनशिप निवासी फाल्गुनी उर्फ किकू फकीरचंद शाह पर रूदरपुरा रूवाला टेकरा निवासी अपनी सगी भाभी अमी शाह का अपहरण कर हत्या करने का आरोप था।
वर्ष 2007 में हुई अमी शाह की हत्या के मामले में कामरेज पुलिस ने बीना और फाल्गुनी शाह को गिरफ्तार कर दोनों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी, तब से सेशन कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। इस मामले में सरकार ने विशेष लोकअभियोजक के तौर पर अधिवक्ता किरीट पानवाला को नियुक्त किया था।
नौ साल से सेशन कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष दोनों अभियुक्तों के खिलाफ आरोप साबित करने में सफल रहा। सोमवार को अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने अभियुक्त बीना शाह और फाल्गुनी शाह को दोषी माना।
हत्या और षडय़ंत्र रचने की धाराए 302 और 120(बी) के आजीवन कारावास और दस हजार रुपए का जुर्माना, अपहरण और सबूत मिटाने की धारा 365 तथा 201 के तहत सात साल की कैद और दो हजार रुपए जुर्माना तथा धमकी देने के लिए आईपीसी की धारा 506(2) के तहत एक साल की कैद और दो हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
यह था मामला
13 अक्टूबर, 2007 को कामरेज पुलिस ने हरिपुरा रूवाला टेकरा निवासी अमी प्रफूल्ल शाह का हत्या किया हुआ शव अज्ञात महिला के तौर पर बरामद किया था। यह खबर अखबार में पढऩे के बाद 14 अक्टूबर की सुबह अमी का भाई विनेश कापडिया कामरेज थाने पहुंचा और जानकारी दी कि उसकी बहन दो दिन से लापता हैं। शव दिखाने पर उसने शव अमी का होने की पुष्टि की थी।
इसके बाद पुलिस ने विनेश के बयान दर्ज किए थे, जिसमें अमी और उसकी ननदों के बीच संपत्ती को लेकर विवाद चल रहा होने की बात सामने आई थी। पुलिस ने अमी की ननद बीना और फाल्गुनी के बयान दर्ज करने के गुप्त रूप से दोनों के मोबाइल लोकेशन और कॉल डिटेल्स की जांच शुरू की तो पता चला कि अमी और दोनों ननद अमी के लापता होने के बाद एक ही लोकेशन पर थी।
पुलिस ने दोनों को हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ की तो दोनों ने कबूल कर लिया था कि उन्होंने ही अमी की हत्या की थी। अमी के पति की मौत होने के बाद दोनों ननद और अमी के बीच संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा था और दोनों ननदों को 13 लाख रुपए अमी को चुकाने थे।
यह रुपए चुकाने नहीं पड़े इस लिए दोनों ने अमी की हत्या का षडय़ंत्र रचा और 12 अक्टूबर, 2007 को अमी का रूवाला टेकरा के पास से कार में अपहरण कर लिया। वे उसे बंदी बना कर अंकलेश्वर के पास तापी होटल में ले गए। यहां पर कार चालक संजय आहीर को खाना खाने के बहाने भेज दिया और दोनों ने नशीला इंजेक्शन देकर अमी को बेहोश कर दिया।
इसके बाद दोनों बहनों ने उसका गला घोंट कर हत्या कर दी और शव अब्रामा के पास फेंक कर जला कर फरार हो गई। हत्या का भेद सुलझने के बाद पुलिस ने अमी शाह की हत्या के मामले में बीना शाह, फाल्गुनी शाह और कार चालक संजय आहीर को गिर?तार कर लिया था।
संजय के ताज के गवाह बनने पर उसे माफ किया
अमी शाह हत्या मामले में कोर्ट ने बीना शाह और फाल्गुनी शाह के अलावा तीसरे अभियुक्त के रूप में कार चालक संजय शाह को भी गिरफ्तार किया था और तीनों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी। कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान 24 दिसंबर, 2008 को कोर्ट ने संजय को पूरा मामले की सही हकीकत बताने की शर्त पर माफ करने का हुक्म सुनाया था और उसे ताज का गवाह बनाया गया था।
कॉल डिटेल्स और सांयोगिक सबूत अहम साबित हुए
बीना शाह और फाल्गुनी शाह को सजा दिलवाने में उनके मोबाइल की कॉल डिटेल्स, फोरेंसिक और चिकित्सकों के रिपोर्ट के साथ सांयोगिक सबूत अहम साबित हुए। हत्या के वक्त अमी और दोनों अभियुक्तों की मोबाइल लोकेशन एक ही होने और हत्या सेे पहले लगातार दोनों बहनों की बीच बात-चीत हुई होने के सबूत के तौर पर अभियोजन पक्ष ने कॉल डिटेल्स कोर्ट के समक्ष रखी थी, इसके अलावा ननद-भाभी के बीच संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था इसका सबूत भी रखा गया था। अमी शाह की शिनाख्त के सबूत समेत पंच-गवाहों के बयान भी अभियोजन पक्ष के आरोपों के समर्थन में रहे, सबूत और गवाहों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने दोनों को दोषी करार दिया।
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