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नई दिल्ली। उबर कैब बलात्कार मामले में दिल्ली की अदालत ने मंगलवार को 25 वर्षीय एक महिला की 11 माह से चल रही कानूनी लड़ाई को अपने फैसले के साथ विराम दे दिया और दोषी कैब चालक को ताउम्र कैद की सजा सुनाई जिस पर पीडि़त के अभिभावकों ने संतोष व्यक्त किया है।
जैसे ही अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने सजा सुनाई अदालत में मौजूद पीडि़त के अभिभावकों की आंखों से आंसू छलक उठे। अदालत के फैसले पर उन्होंने राहत व्यक्त की और चुपचाप परिसर से बाहर निकल गए। पीडि़ता के पिता ने कहा कि उसे कानून के तहत अधिकतम सजा दी गई जिससे हमें संतोष है। इससे बेहतर हमारे लिए और कुछ नहीं हो सकता।
विशेष सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि वह सजा से संतुष्ट हैं और यह समाज के लिए अच्छा है कि दोषी को उसके किए की सजा मिली। श्रीवास्तव ने 33 वर्षीय शिव कुमार यादव के लिए अधिकतम सजा की मांग की थी।
यादव के परिवार वालों के लिए यह सजा चौंकाने वाली थी जिसे सुन कर उसके पिता, मां, पत्नी और बच्चों ने रोना शुरू कर दिया। सजा सुनाए जाने के बाद यादव की पत्नी दो बार अदालत कक्ष में बेहोश हुई। वहां मौजूद अधिवक्ता उसे होश में लाए। अपने परिवार वालों को ढांढस बंधाने में नाकाम यादव भी रो पड़ा। उसके हाथ बंधे हुए थे और पुलिस वालों ने उसे पकड़ा हुआ था।
सजा पर करीब डेढ़ घंटे की जिरह सुनने के बाद न्यायाधीश ने यादव को सजा सुनाई। यादव पूरे समय खामोश बैठा रहा। अदालत परिसर खचाखच भरा हुआ था। यादव के वकील डीके मिश्रा ने हालांकि कहा कि यह अंत नहीं है और वह आज के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।
आरोपी को मथुरा से सात दिसंबर 2014 को गिरफ्तार किया गया था। अभियोजन ने इस मामले में 28 गवाह पेश किए। अदालत ने अभियोजक और बचाव पक्ष के वकील की दलीलें डेढ़ घंटे से अधिक समय सुनने के बाद सजा सुनाई। अदालत ने भादंसं की धाराओं 376 दो, एम, 366, 506 और 323 के तहत अपराधों के लिए भी अलग अलग जेल की सजाएं सुनाईं लेकिन सभी अपराधों की सजाएं एक साथ चलेंगी।
सजा पर दलीलों के दौरान, विशेष लेाक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने यादव के लिए अधिकतम सजा यानी बचे हुए जीवनभर कारावास की मांग की। उन्होंने कहा कि यादव पहले भी आपराधिक मामलों में लिप्त रह चुका है और उसे सजा के तौर पर समाज को एक संदेश दिया जाना चाहिए ताकि कोई व्यक्ति फिर से इस तरह का अपराध नहीं करे।
श्रीवास्तव ने कहा कि बलात्कार पीडि़ता की आत्मा की हत्या करता है। हमें यह देखने की जरूरत है कि किस तरह से कृत्य को अंजाम दिया गया। केवल महिला पीडि़ता नहीं है, यहां पूरा समाज पीडि़त है। इसलिए, मैं उसे अधिकतम सजा देने का अनुरोध करता हूं। दोषी के लिए नरमी का अनुरेाध करते हुए उसके वकील डीके मिश्रा ने कहा कि समाज के मन में डर पैदा करने के लिए 10 साल की सजा पर्याप्त होगी और उसके बुजुर्ग माता पिता, पत्नी और तीन नाबालिग बच्चों की देखभाल के लिए कोई नहीं है।
वकील ने कहा कि स्वाभाविक मौत तक के कारावास की अधिकतम सजा इस मामले में गैरजरूरी है क्योंकि यह मृत्युदंंड से भी भयावह है। यह मेरा नजरिया है कि यादव सुनवाई के दौरान बदला है और उसके सुधरने की संभावनाएं हैं। कार्यवाही के दौरान, पीडि़त के माता पिता भी अदालत में मौजूद थे और उन्होंने आदेश पर संतुष्टि जताई। अदालत ने 20 अक्तूबर को इस मामले में यादव को दोषी ठहराया था।
उबर टैक्सी बलात्कार कांड का घटनाक्रम
5 दिसंबर, 2014 अमरीकी टैक्सी सेवा प्रदाता कंपनी उबर कैब के चालक शिवकुमार यादव पर अपनी टैक्सी में एक महिला को वसंत विहार से इंद्रलोक स्थित उसके घर पहुंचाने के दौरान उसके साथ बलात्कार करने का आरोप।
7 दिसंबर दिल्ली पुलिस ने उत्तर प्रदेश के मथुरा से यादव को गिरफ्तार किया।8 दिसबर यादव को अदालत में पेश करने के बाद पुलिस हिरासत में भेजा गया। उसने शिनाख्त परेड में जाने से इंकार किया। पीडि़ता ने दूसरी अदालत से बाहर आते समय अपराधी के तौर पर उसकी शिनाख्त की।17 दिसंबर कथित रूप से जाली चरित्र प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए जालसाजी के एक दूसरे मामले में यादव को पुलिस हिरासत में भेजा गया।24 दिसंबर पुलिस ने घटना के 19 दिन बाद बलात्कार मामले में यादव के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया।5 जनवरी, 2015 मजिस्ट्रेट ने आरोपपत्र का संज्ञान किया, मामला सत्र अदालत के सुपुर्द किया।
9 जनवरी विशेष त्वरित अदालत ने मामले में आरोप तय करने के लिए दलीलें सुननी शुरू कीं। मामले में विशेष सरकारी अभियोजक नियुक्त।
13 जनवरी अदालत ने बलात्कार के दौरान महिला का जीवन खतरे में डालने, शादी के लिए मजबूर करने के इरादे से अपहरण,
आपराधिक धमकी और नुकसान पहुंचाने के कथित अपराधों के लिए आरोप तय किए। न्यायाधीश ने रोजाना आधार पर सुनवाई का आदेश दिया।
15 जनवरी सुनवाई शुरू, पीडि़ता अदालत में पेश हुई और आरोपी की शिनाख्त की।
17 जनवरी अदालत ने पीडि़ता का पूरा बयान दर्ज किया।
31 जनवरी अभियोजन का सबूत दर्ज करने का काम पूरा।