नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने अस्थायी रूप से दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल और समूह के भुगतान बैंक एयरटेल पेमेंट बैंक की ‘आधार से जुड़ी ई-केवाईसी’ सेवाओं पर रोक लगा दी है।
कंपनी ने एक बयान में कहा कि हम इसकी पुष्टि करते हैं कि हमें यूआईडीएआई का आधार से जुड़ी ई-केवाई सेवाओं के अस्थायी निलंबन के अंतरिम आदेश प्राप्त हुए है, जब तक कि एयरटेल पेमेंट बैंक के ग्राहकों के जुड़ने से संबंधित प्रक्रिया पर वह संतुष्ट नहीं हो जाती है।
बयान में कहा गया कि हम प्राधिकरण के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि जल्द ही इसका समाधान निकल जोगा। हमारी प्रक्रियाओं की जांच की जा रही है। सभी दिशा निर्देशों के तहत कार्य करना हमारी प्राथमिकता है।
यूआईडीएआई की ‘आधार से जुड़ी ई-केवाईसी’ सेवाएं सेवा प्रदाता को तुरंत, इलेक्ट्रॉनिक रूप से, उपभोक्ता की पहचान, पते का प्रमाण, जन्म तिथि, लिंग, मोबाइल नंबर और ईमेल से जुड़ी जानकारी मुहैया कराती है। आधार प्रमाणीकरण और ई-केवाईसी सेवाएं विभिन्न क्षेत्रों और सरकारी संगठनों के लिए एक लाइसेंस के तहत मुहैया कराई जाती है।
ग्राहकों की सहमति बिना ही खोल दिए खाते
आरोप है कि भारती एयरटेल ने अपने ग्राहकों की सहमति लिए बिना ही उनके बैंक खाते खोल दिए, जबकि वे तो अपने सिम का आधार आधारित केवाईसी करवाने आते थे। यूआईडीएआई ने उन आरोपों पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई, जिनमें एलपीजी रसोई गैस सब्सिडी लेने के लिए भी ऐसे पेमेंट बैंक अकाउंट्स को लिंक करने की बात कही जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक यूआईडीएआई ने एक अंतरिम आदेश में कहा कि भारती एयरटेल और एयरटेल पेमेंट बैंक के ई-केवाईसी लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है। हालांकि इसके लिए अन्य उपलब्ध माध्यमों का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
क्यों कसा शिकंजा
जानकारी के मुताबिक, एयरटेल पेमेंट्स बैंक के 23 लाख से ज्यादा ग्राहकों को उनके इन बैंक खातों में 47 करोड रुपये मिले, जिनके खोले जाने की उन्हें जानकारी तक नहीं थी। यही नहीं, इन लोगों की एलपीजी सब्सिडी तक इन खातों में आने लगी थी। यूआईडीएआई के समक्ष यह मामला लाया गया था।