उज्जैन। उज्जयिनी कालगणना का आरम्भ केन्द्र है। उज्जयिनी 23 अंश अक्षांश और 11 अंश देशान्तर पर स्थित है। कर्क रेखा 23 अंक्षाश और 26 देशान्तर पर है। उज्जयिनी और कर्क रेखा में 15 कला का अन्तर है। एक कला की दूरी 2 किलोमीटर होती है। इस आधार पर कर्क रेखा की खोज की गई।
खोज के समय यह तय था कि 30 किलोमीटर की दूरी पर यह स्थान होगा। उत्तर में 30 कि.मी. की दूरी पर ग्राम डोगंला में यह स्थान मिला है। तभी से खगौल जानकारियां एकत्र की जा रही है। ग्राम डोगंला जो महिदपुर तहसील के अन्तर्गत आता है, इसी ग्राम में खगौल विज्ञान का प्रमुख शोध केन्द्र स्थापित किया गया है।
भारत के नक्शे पर अंकित कर्क रेखा प्राचीन उज्जयिनी के नजदीक से होकर गुजरती है। डोगंला की वेधशाला पर निर्मित भास्कर यंत्र, शंकु यंत्र एवं भित्ति यंत्र पर दोपहर ठीक 12.27 बजे सूर्य प्रेक्षण लेकर 23 डिग्री 26 मिनट 45.6 सैकेण्ड अक्षांश पर सूर्य मस्तक चमका तथा 75 अंश 45 मिनट 42.5 सैकेण्ड रेखांश पर सूर्य की परछायी विलुप्त हो गई और छाया शून्य रही। यह स्थिति ग्राम डोगंला में ही निर्मित होती है। क्योंकि उज्जैन से गुजरने वाली शून्य देशान्तर रेखा ग्राम डोंगला में कर्क रेखा पर स्वास्तिक का निर्माण करती है।
उज्जैन का खगोलीय महत्व
धरती का केन्द्रीय स्थान यानी सेन्टर पाइंट। भौगोलिक कर्क रेखा उज्जैन के मध्य से गुजरती है। शिप्रा नदी के किनारे नृसिंह घाट के पास प्राचीन कर्कराज मंदिर है। सूर्य सिद्धांत के अनुसार प्राचीन काल से शून्य देशांतर रेखा यहां से होकर गुजरती है। स्कंदपुराण में उल्लेख है कि उज्जयिनी कर्क वृत्त पर है। यहां महाकाल यानी समय के देवता का मंदिर है। दुनिया का स्टेण्डर्ड टाईम यहीं से निर्धारित किया जाता था। नई खोजों के अनुसार कर्क रेखा महिदपुर के पास डोंगला से गुजरती है।