मध्यप्रदेश में उज्जैन की वेधशाला अदभुत है तथा इसके यंत्र जबरदस्त हैं। वर्तमान के अत्याधुनिक जमाने में समय देखने के लिए दीवार पर बनी प्राचीनतम घड़ी से सूर्य के प्रकाश एवं छाया से समय की गणना की जाती है। इसमें 20 सेकंड तक का समय सही-सही देखा जा सकता है। नाड़ी वलय यंत्र, भित्ति यंत्र, दिगंश यंत्र, टेलीस्कोप, तारा मण्डल आदि सभी ग्रह एवं नक्षत्रों की स्थिति की सही-सही जानकारी देते हैं। वेधशाला में स्थापित नाड़ी वलय यंत्र सूर्य द्वारा पृथ्वी के उत्तरीय गोलार्द्ध एवं दक्षिणी गोलार्द्ध की ओर जाने की स्थिति दर्शाता है। जिधर सूर्य होता है, उस हिस्से में धूप होती है। भित्ति यंत्र के द्वारा ग्रह एवं नक्षत्रों की भूमध्य रेखा से झुकाव की स्थिति का अध्ययन किया जाता है। यह बताता है कि ग्रह भूमध्य रेखा से कितने उत्तर-दक्षिण में हैं तथा कितने झुकाव पर हैं। वेधशाला में वर्षामापक, तापमान मापक, आर्द्रता मापक तथा हवा की दिशा एवं तीव्रता बताने वाले यंत्र भी लगे हुए हैं, जो कि सही-सही जानकारी देते हैं। वेधशाला स्थित तारा मण्डल के विशेष शो के माध्यम से आकाश में ग्रह, नक्षत्र, तारों, आकाशगंगा आदि की गति एवं स्थिति को देखा और यहां पर कई प्रकार के शो के द्वारा ग्रहों, नक्षत्रों एवं आकाशीय पिण्डों की स्थिति एवं गति को खूबसूरती के साथ प्रदर्शित किया जाता है।
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